Last Updated: Tuesday, April 17, 2012, 06:56

भुवनेश्वर : सत्तारूढ़ बीजद विधायक झीना हिकाका को गत 24 मार्च से बंधक बनाने वाले माओवादियों ने ओडिशा सरकार से मंगलवार शाम पांच बजे तक साफ साफ यह बताने को कहा है कि 29 बंदियों की रिहाई के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। माओवादियों ने हिकाका को छोड़ने के लिए जेल में बंद अपने 29 साथियों को रिहा करने की शर्त रखी है। मीडिया को भेजे गए अपने ताजा संदेश में ‘आंध्र ओडिशा बॉर्डर स्पेशल जोनल कमेटी’ (एओबीएसजेडसी) ने कहा है कि राज्य सरकार को शाम पांच बजे तक यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि क्या वह लक्ष्मीपुर के विधायक हिकाका :37: को मुक्त कराना चाहती है।
संदेश में कहा गया है कि अगर राज्य सरकार 29 बंदियों की रिहाई के लिए उठाए जाने वाले कदमों की आज शाम पांच बजे तक घोषणा कर देती है और अगर हमें इससे संतुष्टि होती है तो विधायक को कल शाम पांच बजे की तय समय सीमा तक छोड़ दिया जाएगा। इसमें कहा गया है कि अगर सरकार जेल में बंद विद्रोहियों की रिहाई के लिए जमानत की प्रक्रिया पर जोर देती है तो उसे समय बर्बाद करने के बजाय प्रक्रिया तेज करने के लिए कदम उठाने चाहिए। संदेश में कहा गया है कि अगर राज्य सरकार इस मुद्दे पर दुविधा में है तो नतीजों के लिए वही जिम्मेदार होगी। संदेश के अनुसार, विधायक सुरक्षित हैं।
सरकार और नक्सलियों, दोनों ने अपने-अपने रुख से पीछे हटने से इंकार कर दिया है। जहां एक ओर नक्सली चाहते हैं कि सरकार, बीजू जनता दल (बीजद) के विधायक की रिहाई के एवज में 29 नक्सलियों को रिहा करे, वहीं सरकार का कहना है कि वह मात्र 25 नक्सलियों को ही रिहा करेगी।
इस बात को लेकर भी भ्रम की स्थिति है कि आखिर कैदियों की रिहाई के लिए जमानत की अर्जी कौन दायर करेगा। इधर, नक्सलियों द्वारा सरकार को दी गई समय सीमा बुधवार शाम समाप्त हो जाएगी। सरकार का कहना है कि कैदी आसपास की अदालतों में अपने वकीलों के माध्यम से जमानत की अर्जी दाखिल करेंगे, जिससे नक्सलियों ने इंकार कर दिया है। हिकाका को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की आंध्र-ओडिशा सीमा विशेष क्षेत्रीय समिति ने 24 मार्च को उनके गृह जनपद कोरापुट से अगवा कर लिया था।
नक्सलियों ने जिन 29 कैदियों की रिहाई की मांग की है, उनमें से अधिकांश चासी मुलिया आदिवासी संघ के सदस्य हैं। यह संघ, मलकानगिरि और कोरापुट जिलों सहित मुख्यरूप से राज्य के दक्षिणी हिस्सों में जनजातीय समुदाय से सम्बंधित मुद्दों पर काम करता है। संघ के नेता मचिका लिंगा के अनुसार, सरकार को कैदियों के खिलाफ लगाए गए मामले खुद से वापस लेने होंगे, क्योंकि वे बेगुनाह हैं और उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया गया है।
संघ के वकील निहार पटनायक ने कहा कि नक्सलियों ने जमानत याचिका दायर करने से उन्हें मना किया है। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि सरकार अपराध दंड संहिता की धारा 321 के तहत स्वयं अदालतों में जाए। पटनायक ने कहा कि धारा 321 किसी भी सरकारी अभियोजक को यह अधिकार देती है कि वह फैसला होने से पहले किसी मामले को कभी भी वापस ले सकता है।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, April 17, 2012, 15:29