Last Updated: Friday, September 16, 2011, 18:45
बेंगलूर : पद संभालने के महज डेढ़ महीने बाद कर्नाटक के लोकायुक्त शिवराज पाटिल नियमों का उल्लंघन कर दो आवासीय सहकारी सोसायटी से दो रिहाइशी भूखंडों का आवंटन हासिल करने से जुड़े एक विवाद में फंस गये हैं. बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश पाटिल ने खुद का बचाव करते हुए कहा कि इनमें से एक भूखंड उनकी पत्नी ने खरीदा था.
न्यायमूर्ति पाटिल को वर्ष 1994 में कर्नाटक राज्य न्यायिक विभाग कर्मचारी आवास भवन सहकारी सोसायटी ने अल्लालासंद्रा में 9,600 वर्ग फुट का भूखंड आवंटित किया था. व्यालीकावल आवासीय निर्माण सहकारी सोसायटी ने वर्ष 2006 में नगावारा में करीब 4,012 वर्ग फुट का एक अन्य भूखंड उनकी पत्नी अन्नपूर्णा को आवंटित किया.
नियमों के तहत यह आवंटन आवासीय सहकारी सोसायटी के लिये बनाये गये उप-नियम की धारा 10 (ए) का उल्लंघन है जिसके तहत किसी सोसायटी द्वारा किसी परिवार या उसके किसी सदस्य को भूखंड आवंटित होने के बाद परिवार के अन्य सदस्यों के नाम से दूसरा भूखंड हासिल नहीं किया जा सकता.
खुद को और अपनी पत्नी को भूखंड आवंटन होने के चलते आलोचनाओं के घेरे में आये लोकायुक्त ने कहा कि उन्होंने अपनी पत्नी को सलाह दी है कि वह व्यालीकावल आवासीय निर्माण सहकारी सोसायटी को भूखंड लौटा दें.
पाटिल ने उत्तरी कर्नाटक के रायचुर में संवाददाताओं को बताया, ‘मेरी पत्नी को मिले भूखंड को लौटा देने के आशय का पत्र 14 सितंबर को दिया गया है.’
न्यायमूर्ति पाटिल ने कहा, ‘व्यालीकावल आवासीय निर्माण सोसायटी पर काफी कर्ज था, इसलिये सरकार की ओर से नामित सोसायटी के सदस्यों ने राज्य से अनुरोध कर भूखंड की सीधे बिक्री करने की अनुमति मांगी थी. मेरी पत्नी ने इसी तरह की सीधी बिक्री में एक भूखंड खरीदा था. एक बार यह भूखंड मिल जाने के बाद परिवार के सदस्य के नाम पर दूसरा भूखंड होने की बंदिश का सवाल ही नहीं उठता.’
बहरहाल, पाटिल ने कहा कि उन्होंने अपनी पत्नी को सलाह दी है कि नैतिक आधार पर वह भूखंड लौटा दें क्योंकि वह लोकायुक्त के पद पर हैं. पाटिल ने उन्हें आवंटित भूखंड का भी बचाव करते हुए कहा कि न्यायाधीशों को भूखंड आवंटन के मामले का सुप्रीम कोर्ट और हार्इकोर्ट निपटारा कर चुका है.
यह विवाद उठने के बाद जनता दल (एस) के प्रवक्ता वाई एस वी दत्ता ने कहा कि पाटिल को कानूनी, तकनीकी और नैतिक आधार पर लोकायुक्त का पद छोड़ देना चाहिये.
उन्होंने कहा कि चूंकि व्यालीकावल आवासीय निर्माण सोसायटी ने अपने क्षेत्र में भूखंड आवंटित कर पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के परिवार के सदस्यों को पक्ष लिया था और यह मामला लोकायुक्त की जांच के अधीन है, लिहाजा पाटिल को यह पद छोड़ देना चाहिये. सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश को निश्चित तौर पर नियमों और नियमनों का ज्ञान होगा. गौरतलब है कि न्यायमूर्ति संतोष हेगड़े के बाद न्यायमूर्ति पाटिल चार अगस्त को कर्नाटक के लोकायुक्त बने थे.
First Published: Saturday, September 17, 2011, 00:16