Last Updated: Tuesday, January 22, 2013, 18:09
संगम (इलाहाबाद) : गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के पावन संगम पर तीर्थराज प्रयाग में चल रहे महाकुम्भ में तरह-तरह के साधु-संतों के बीच अनोखी वेशभूषा में सजे और शिवभक्त कहे जाने वाले जंगम जोगियों की टोली मेला में आने वाले श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बन गई है।
मेले में आए तकरीबन 500 जंगम जोगी अपनी अनोखी वेशभूषा के चलते सबका ध्यान खींच रहे हैं। अक्सर शिवमहिमा गाते नजर आने वाले जंगम जोगियों को श्रद्धालु, खासकर विदेशी मेहमान बड़े कौतूहल के साथ देखते हैं। जंगम जोगियों के सिर पर भगवान शिव के नाग का प्रतिरूप, कानों में कुंडल, माथे पर बिंदी, सिर पर मोरपंखी और रुद्राक्ष तथा जनेऊ धारण करने के साथ वे अपने हाथों में नंदी बैल की घंटी लेकर निकलते हैं। केसरिया वस्त्र धारण किए जंगम जोगी अलग-अलग शिविरों में जाकर गीतों के जरिए संतों, नागाओं और श्रद्धालुओं को भगवान शिव की कथा सुनाते हैं।
जंगम जोगी बालीराम का कहना है कि हर जंगम जोगी को शिवपुराण कंठस्थ है। सुबह से शाम तक दशनामी अखाड़ों में पवित्र गीत गाकर वे नागाओं और संतों की साधना में सहयोग करते हैं। वह कहते हैं कि उनका कोई गुरु नहीं होता। परिवार में ही शिवपुराण, शिव स्त्रोत कंठस्थ कराया जाता है। जंगम गृहस्थ होते हैं और महाकुम्भ के दौरान वे नागा सम्प्रदाय के बीच विचरण व पंगत करते हैं और संन्यासियों से दान लेते हैं।
शाही स्नान के दौरान विभिन्न अखाड़ों के नागा साधुओं की तर्ज पर जंगम जोगी भी शिवमहिमा गाते हुए जुलूस के साथ स्नान करने जाते हैं। मान्यता है कि जंगम जोगियों की उत्पत्ति भगवान शिव के विवाह के दौरान हुई थी। शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव ने भगवान विष्णु एवं ब्रह्मा को विवाह कराने की दक्षिणा देना चाहा पर उन्होंने लेने से इंकार कर दिया। इस पर महादेव को क्रोध आ गया। उन्होंने अपनी जांघ पीटकर जंगम साधुओं को उत्पन्न किया, जिन्होंने महादेव से दान लेकर उनके विवाह उत्सव में गीत गाए और रस्में संपन्न कराईं। उल्लेखनीय है कि मकर संक्रांति से शुरू हुआ 55 दिवसीय प्रयाग महाकुम्भ 10 मार्च तक चलेगा। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, January 22, 2013, 18:09