Last Updated: Tuesday, January 15, 2013, 16:14
सीमा मलिक संगम (इलाहाबाद: कुंभ मेले में अखाड़ों की शाही सवारी और पहले शाही स्नान के बाद दीक्षा संस्कारों की तैयारियां चल रही है। अलग अलग संप्रदायों में दीक्षा देने और नए संन्यासियों को अखाड़े में शामिल करने की प्रक्रियाएं भिन्न है। पर सबसे ज़्यादा आकर्षण नागा साधुओं का दीक्षा संस्कार होता है। कुंभ में वैसे भी नागा साधु आकर्षण का केंद्र होते हैं जो कि सातों शैव संप्रदायों के अखाड़ों में बनाए जाते हैं।
इस बार जो संन्यासी नागा साधु बनने वाले हैं उन्हें दूसरे और तीसरे शाही स्नान का इंतज़ार है, जब उन्हें नागा साधु बनाया जाएगा। दीक्षा संस्कार में अनुष्ठान के बाद उन्हे गंगा में अपना और अपने परिवार का पिंड दान करना होगा ताकि सभी तरह के संस्कारिक रिश्तों और मोह माया के बंधनों से उनका नाता छूट जाए और पूरी तरह से धर्म की रक्षा और मानव कल्याण के लिए खुद को समर्पित कर दें। नागा साधुओं को पांच तरह की दीक्षा दी जाती है। महापुरुष, रुद्राक्ष, भस्म, केशायवस्त्र और लंगोटी शैव संप्रदाय के सातों अखाड़ों महानिर्वाणी, जूना, अटल, आनंद, आवाहन, निरंजनी और पंचअग्नि में से सबसे ज़्यादा नागा साधु जूना अखाड़ें में जुड़ने जा रहे है।
तीर्थ राज प्रयाग में इस बार जूना अखाड़े में डेढ़ हज़ार से ज्यादा साधु नागा संयासी बनने जा रहे है जबकि महानिर्वाणी अखाड़े में इनकी संख्या करीब 250 है। शैव संप्रदाय से अलग उदासीन अखाड़ों में भी दीक्षा संस्कार होगा लेकिन इसकी प्रक्रिया बहुत ही सहज होती है। इस अखाड़े में किसी भी संन्यासी को शामिल करने से पहले उसकी संकल्प की परीक्षा ली जाती है। इसके लिए सन्यासी बनने के इच्छुक व्यक्ति को साथ रखकर सालों परीक्षा ली जाती है और जिससे संन्यासी बनने के योग्य पाया जाता है उसे कुंभ में अपने अखाड़े में शामिल कर लिया जाता है।
First Published: Tuesday, January 15, 2013, 16:14