महाकुंभ: संगम तट पर कल्पवासियों ने डाला डेरा

महाकुंभ: संगम तट पर कल्पवासियों ने डाला डेरा

संगम (इलाहाबाद) : उत्तर प्रदेश की प्रयागनगरी में सजे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले में बड़ी संख्या में कल्पवासी पहुंचे चुके हैं। संगम में रविवार को पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ ही एक महीने तक चलने वाला कल्पवास का महीना शुरू हो गया है। देश के सूदूर इलाकों से लोग यहां कल्पवास के लिए पहुंचे हैं।

कल्पवास के शुरू होते ही संगम किनारे तंबुओं में रह रहे कल्पवासियों की दिनचर्या बदल गई है। सूर्योदय से पहले जगना, दो वक्त स्नान करना, एक वक्त भोजन करना, और ब्रह्मचर्य का पालन करना कल्पवासियों के जीवन का हिस्सा बन गया है। कल्पवास महीने के बारे में निर्मोही अखाड़े से जुड़े वासुदेवानंद ने बताया कि कल्पवासी सूर्योदय से पहले जगकर गंगा स्नान करते हैं और अपने पात्र में गंगाजल भरते हैं। इसके बाद जब सूर्य देव उदित होते हैं, तो इसी जल से अघ्र्य दिया जाता है।

वह बताते हैं कि शाम के समय भी ये कल्पवासी सूर्यास्त से पहले स्नान कर लेते हैं, और अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य देते हैं। वासुदेवानंद कहते हैं कि ईष्टजनों का इहलोक सुधारने की कामना लिए ये कल्पवासी एक महीने तक सिर्फ एक वक्त दोपहर में ही भोजन करते हैं। यह भोजन भी गंगाजल से ही बनाया जाता है। महाकुम्भ नगरी में देसी श्रद्घालुओं की भीड़ में कुछ विदेशियों ने भी इस बार महीने भर का कल्पवास रखा हुआ है। बकायदा पूरे रीति-रिवाज और संस्कार के साथ ही वे इसे निभा रहे हैं। (एजेंसी)

First Published: Monday, January 28, 2013, 12:42

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