Last Updated: Monday, July 29, 2013, 22:20

पटना : बिहार में पिछले सात वर्षों के दौरान विपक्ष के मजबूत होने के बाद पहली बार विधानसभा का नजारा सोमवार को बदला रहा। बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन सोमवार को विपक्षी सदस्य दिनभर हंगामा करते रहे। इस कारण दिन में दो बार विधानसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
कार्यस्थगन प्रस्ताव पर हुई चर्चा के जवाब में जब शिक्षा मंत्री पी़ क़े शाही जावाब दे रहे थे उनके जवाब से असंतुष्ट विपक्ष के विधायकों ने वॉक आउट कर दिया।
विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन कार्यवाही प्रारंभ होते ही मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा में सरकार द्वारा उचित कदम नहीं उठाने तथा मशरख में मध्याह्न भोजन खाने के कारण 23 बच्चों की मौत को लेकर कार्यस्थगन का प्रस्ताव दिया। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) भी कार्यस्थगन का प्रस्ताव के तहत बहस कराने की मांग कर रहा था।
विधानसभा अघ्यक्ष उदय नारायण चौधरी द्वारा पहले प्रश्नकाल चलने और 12 बजे के बाद नियमन देने की बात कहे जाने पर विपक्षी सदस्य वेल में आकर हंगामा करने लगे। विपक्षी दल के द्वारा अध्यक्ष के निवेदन को नहीं मानने पर अध्यक्ष ने 12 बजे तक विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी।
इसके बाद सदन की कार्यवाही जैसे ही 12 बजे प्रारंभ हुआ तब अध्यक्ष ने राजद के कार्यस्थगन प्रस्ताव को मंजूर करते हुए चर्चा के लिए ढाई बजे का समय दिया। इससे भाजपा के सदस्य नाराज हो गए। भाजपा के सदस्यों ने कहा कि जब कार्यस्थगन पहले भाजपा द्वारा दिया गया था तब राजद के प्रस्ताव को कैसे मंजूर किया गया। अध्यक्ष सदन में पहले शून्यकाल चलाना चाह रहे थे। इसे लेकर विपक्षी दल एक बार फिर हंगामा करने लगे तब अध्यक्ष ने कार्यवाही को दो बजे तक स्थगित कर दिया।
तीसरी बार जब सदन की कार्यवाही प्रारंभ हुई तो कार्यस्थगन पर चर्चा प्रारंभ हुई। इस दौरान भी बीच-बीच में हंगामा होता रहा। विपक्षी दल के लोग मशरख हादसे पर सरकार की संवेदनहीनता और उचित व्यवस्था नहीं करने का आरोप लगा रहे थे।
चर्चा के बाद शिक्षा मंत्री शाही ने जवाब देते हुए कहा कि इस हृदय विदारक घटना से सभी लोग मार्माहत हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने घटना के बाद त्वरित कारवाई करते हुए बच्चों का इलाज करवाया। उन्होंने विपक्ष द्वारा शोर मचाए जाने पर कहा कि विपक्ष यहां ओछी राजनीति कर रही है। इस घटना से सदन शर्मसार हुआ है।
उन्होंने माना कि राज्य में मध्याह्न भोजन योजना में कई कमियां हैं जिन्हें दूर करने का प्रयास चल रहा है। सदस्यों को आश्वस्त करते हुए शाही ने कहा कि मशरख कांड में जो कोई भी दोषी है उसे बख्शा नहीं जाएगा। इस दौरान शाही के जवाब से असंतुष्ट राजद और भाजपा के सदस्यों ने सदन का वॉक आउट किया।
चर्चा में भाग लेते हुए प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने कहा कि सरकार अगर घटना के बाद तत्काल कारवाई करती तो कई बच्चों की जान बच सकती थी। उन्होंने कहा कि नैतिकता के आधार पर इस घटना की नैतिक जिम्मेवारी सरकार को लेनी चाहिए।
राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी मुख्यमंत्री अब तक न उस गांव में पीड़ित परिवार से मिलने गए और न ही पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जाकर उन बच्चों का हालचाल जाना। उन्होंने सरकार से इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की।
उल्लेखनीय है कि सारण जिले के मशरख प्रखंड के धर्मसती गंडामन गांव के एक विद्यालय में 16 जुलाई को मध्याह्न भोजन खाने से 23 बच्चों की मौत हो गई थी जबकि अभी भी रसोईया और 24 बच्चों का इलाज पीएमसीएच में चल रहा है। (एजेंसी)
First Published: Monday, July 29, 2013, 22:20