मुंबई हिंसा की न्यायिक जांच की मांग

मुंबई हिंसा की न्यायिक जांच की मांग


नई दिल्ली : असम में हुए दंगों के विरोध में मुंबई में हुई हिंसा पर राज्यसभा में मंगलवार को भाजपा और शिवसेना ने महाराष्ट्र की कांग्रेस नीत सरकार को निशाने पर लेते हुए घटनाओं की न्यायिक जांच कराने की मांग की। इसी मुद्दे पर हंगामे के कारण सदन की बैठक को दस मिनट के लिए स्थगित किया गया।

हंगामे के बीच ही राजग में शामिल जदयू नेता शिवानंद तिवारी ने भाजपा और शिवसेना के सदस्यों की कुछ टिप्पणियों पर घोर आपत्ति जताते हुए उनमें से कथित सांप्रदायिक बातों को सदन की कार्यवाही से निकाले जाने की मांग भी की।

प्रश्नकाल के बाद भाजपा के बलवीर पुंज ने यह मामला उठाते हुए कहा कि मुंबई में एक रैली के दौरान जो हिंसा हुई उससे देश में लोकतंत्र के भविष्य के प्रति गंभीर सवाल पैदा होते हैं। उन्होंने कहा कि रैली में मुख्यत: असम में हुए दंगों और म्यामां में मुसलमानों के साथ हुए अत्याचार का विरोध किया गया।

उन्होंने कहा कि असम में जो कुछ हुआ वह सांप्रदायिक संघर्ष न होकर स्थानीय बोडो लोगों और विदेशी घुसपैठियों के बीच का संघर्ष था। उन्होंने कहा कि रैली में आये लोगों में असम के निवासी बोडो के प्रति नहीं बल्कि विदेशी घुसपैठियों के प्रति सहानुभूति थी। उन्होंने कहा कि मुंबई के लोगों को म्यामां में हिंसा के लिए किस तरह से जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। पुंज ने कहा कि मुंबई में हुई रैली के दौरान मीडिया की एक ओबी वैन तोड़ दी गई और महिला पुलिसकर्मियों के साथ अभद्रता की गयी। उन्होंने कहा कि रैली में आये शराती तत्वों ने आजाद मैदान में शहीदों के लिए बनाए गए स्मारक को भी क्षति पहुंचाई, जिससे पूरे देश का अपमान हुआ है। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, August 14, 2012, 19:04

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