मुंबई 1993 सीरियल ब्लास्ट का घटनाक्रम

मुंबई 1993 सीरियल ब्लास्ट का घटनाक्रम

मुंबई 1993 सीरियल ब्लास्ट का घटनाक्रम  नई दिल्ली : मुंबई में श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों के करीब दो दशक बाद उच्चतम न्यायालय ने एक दोषी की मौत की सजा और बालीवुड स्टार संजय दत्त समेत कई अन्य के दोष सिद्धि को बरकरार रखा है । इन विस्फोटों में 257 लोग मारे गये थे और 700 से अधिक घायल हो गये थे । इस मामले का घटनाक्रम इस प्रकार है-

12 मार्च, 1993: मुंबई में एक के बाद एक 13 बम विस्फोट हुये जिसमें 257 लोगों की मौत, 713 घायल हुये ।

19 अप्रैल: अभिनेता संजय दत्त (आरोपी संख्या 117) गिरफ्तार ।

चार नवंबर: दत्त समेत 189 आरोपियों के खिलाफ 10 हजार पन्ने का प्रारंभिक आरोप पत्र दाखिल किया गया ।

19 नवंबर: मामला सीबीआई को सौंपा गया ।

एक अप्रैल, 1994 :टाडा अदालत शहर की सत्र और दीवानी अदालत परिसर से स्थानांतरित होकर आर्थर रोड स्थित केंद्रीय कारागार परिसर में एक अलग इमारत में पहुंची ।

10, अप्रैल 1995 : टाडा अदालत ने 26 आरोपियों को आरोपमुक्त किया, अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय, उच्चतम न्यायालय ने दो अन्य आरोपियों में यात्रा एजेंट अबू आसिम आजमी :अब समाजवादी पार्टी के सांसद: और अमजद मेहर को भी आरोप मुक्त किया ।

अप्रैल-जून: आरोपियों के खिलाफ आरोप तय ।

30 जून: दो आरोपी मोहम्मद जमील और उस्मान झानकनन सरकारी गवाह बने । 14 अक्तूबर: उच्चतम न्यायालय ने दत्त की जमानत मंजूर की ।

23 मई, 1996: न्यायाधीश जे एन पटेल का तबादला, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने ।

29 मई: पी डी कोडे को इस मामले में टाडा का विशेष न्यायाधीश बनाया गया ।

अक्तूबर 2000: अभियोजन पक्ष के 684 गवाहों से पूछताछ पूरी ।

नौ मई-18 जुलाई 2001: आरोपियों ने अपने बयान दर्ज कराये ।

नौ अगस्त :अभियोजन पक्ष ने बहस पूरी की ।

18 अक्तूबर :अभियोजन पक्ष की बहस पूरी ।

नौ नवंबर : बचाव पक्ष ने बहस पूरी की ।

22 अगस्त 2002: बचाव पक्ष की बहस पूरी ।

20 फरवरी 2003: मुस्तफा दोसा की रिमांड कार्रवाई और सुनवाई अलग की गई ।

सितंबर 2003: सुनवाई पूरी, अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा ।

13 जून 2006: गैंगेस्टर अबू सलेम की सुनवाई अलग की गई ।

10 अगस्त : न्यायाधीश पी डी कोडे ने कहा, फैसला 12 सितंबर को सुनाया जायेगा ।

12 सितंबर : अदालत ने मेनन परिवार के चार सदस्यों को दोषी ठहराया, तीन बरी, 12 दोषियों को मौत की सजा जबकि 20 को आजीवन कारावास ।

एक नवंबर, 2011: उच्चतम न्यायालय ने सौ दोषियों और राज्य द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई शुरू की ।

29 अगस्त 2012 : उच्चतम न्यायालय ने अपीलों पर आदेश सुरक्षित रखा ।

21 मार्च 2013: उच्चतम न्यायालय ने टाइगर मेनन के भाई दोषी याकूब मेनन की मौत की सजा बरकरार रखी और 10 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदला, 18 में से 16 दोषियों की उम्रकैद की सजा बरकरार । (एजेंसी)

First Published: Thursday, March 21, 2013, 18:52

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