Last Updated: Sunday, September 29, 2013, 23:19

लखनऊ/मेरठ : उत्तर प्रदेश के मेरठ में आज प्रतिबंधित सर्वजातीय महापंचायत में शामिल लोगों तथा पुलिस के बीच हुए हिंसक टकराव में रैपिड एक्शन फोर्स के छह जवानों समेत 20 लोग घायल हो गये। इस मामले में 24 लोगों को गिरफ्तार किया गया है तथा नोटिस पाये 400 अन्य लोगों की भी गिरफ्तारी की जाएगी।
पुलिस महानिरीक्षक (कानून-व्यवस्था) राजकुमार विश्वकर्मा ने यहां संवाददाताओं को बताया कि मुजफ्फरनगर दंगों के सिलसिले में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून :रासुका: के तहत निरुद्ध सरधना से भाजपा विधायक के खिलाफ कार्रवाई को वापस लेने की मांग के समर्थन में उनके भाई सागर सोम तथा पत्नी निधि ने खेड़ा गांव में सर्वजातीय महापंचायत बुलायी थी।
उन्होंने बताया कि प्रशासन ने गत 27 सितम्बर को ही इस पंचायत को प्रतिबंधित करते हुए खतौली, बुढ़ाना, बागपत तथा शामली एवं आसपास के क्षेत्रों से खेड़ा गांव की तरफ जाने वाले रास्तों पर अवरोध लगवाए थे लेकिन इसके बावजूद करीब छह हजार लोग खेतों और पगडंडियों के रास्ते जनता इंटर कालेज मैदान में एकत्र हो गये।
विश्वकर्मा ने बताया कि महापंचायत के लिये पहुंचे लोगों को रोकने की कोशिश किये जाने पर उन्होंने पुलिस बल पर पथराव कर दिया और पुलिस के वाहनों समेत करीब नौ सरकारी गाड़ियों को क्षतिग्रस्त कर दिया।
उन्होंने बताया कि जवाबी कार्रवाई करते हुए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े, रबर की गोलियां चलायीं तथा हवाई फायरिंग की। इस संघर्ष में रैपिड एक्शन फोर्स के छह जवान, 13 पुलिसकर्मी तथा मोहित नाम का एक व्यक्ति घायल हो गये। विश्वकर्मा ने बताया कि गांव में अब शांति है और टकराव की उस वारदात के बाद कहीं कोई अन्य अप्रिय घटना नहीं हुई है। विश्वकर्मा ने बताया कि हिंसा की इस वारदात के मामले में अब तक 24 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा महापंचायत के आयोजकों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने बताया कि मेरठ पुलिस प्रशासन ने कल भी शांति भंग की आशंका और किसी भी तरह की घटना होने पर जिम्मेदारी की चेतावनी देते हुए करीब 400 लोगों को नोटिस दिया था। अब उन लोगों को भी इस हिंसा के मामले में जवाबदेह बनाकर मुकदमा दर्ज किया जाएगा और उन्हें गिरफ्तार भी किया जाएगा। गृह विभाग के सचिव कमल सक्सेना ने इस मौके पर इस सवाल के जवाब में बताया कि केन्द्र सरकार ने महापंचायत को लेकर राज्य सरकार को कोई अलर्ट जारी नहीं किया था।
उन्होंने कहा कि मेरठ जिला प्रशासन ने महापंचायत पर पाबंदी लगाने का समुचित प्रचार-प्रसार किया था। इसके अलावा महापंचायत के आयोजकों तथा इलाके के 24 गांवों में नोटिस दी गयी थी कि इलाके के जिम्मेदार लोग अपने-अपने गांवों के बाशिंदों को समझाकर उन्हें महापंचायत में आने से रोकें। सक्सेना ने बताया कि इसके बावजूद लोग खेतों और पगडंडियों से होकर पंचायत स्थल पर पहुंच गये और वहां मौजूदा जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और पुलिस उपमहानिरीक्षक उनसे घिर गये। एक वक्त ऐसा भी लगा कि उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ गयी है। यह देखकर पुलिस ने कार्रवाई की। (एजेंसी)
First Published: Sunday, September 29, 2013, 14:35