Last Updated: Wednesday, May 23, 2012, 21:35
वाशिंगटन/कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से माकपा माओवादियों के साथ मिलकर उनकी हत्या की षड्यंत्र रच रही है और इसमें उत्तर कोरिया, वेनेजुएला और हंगरी वित्तीय मदद कर रहे हैं।
माकपा ने इस आरोप को हास्यास्पद’ करार देते हुए कहा है कि पार्टी इस बात की जांच करेगी कि क्या इस आरोप के कारण तृणमूल कांग्रेस प्रमुख पर मानहानि का मुकदमा बनता है। ममता ने एक साक्षात्कार में उनका मजाक बनाने वाले व्यंगात्मक टिप्पणियों वाले चार चित्रों को लेकर जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर की गिरफ्तारी के बारे में पूछे जाने पर अपने चिरप्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ ताजा हमला बोलते हुए साजिश के बारे में आरोप लगाया।
व्यंगात्मक टिप्पणियों वाले चार चित्रों के बारे में पूछे जाने पर ममता ने आरोप लगाया कि किस तरह उनके मार्क्संवादी प्रतिद्वंद्वी माओवादियों के साथ मिलकर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी की मदद से उनकी प्रतिष्ठा गिराने और उनकी हत्या करने का साजिश रच रहे हैं। उनका यह भी आरोप है कि इस साजिश में माकपा को उत्तर कोरिया, वेनेजुएला और हंगरी से वित्तीय मदद मिल रही है।
उन्होंने कहा कि उन्होंने मुझे मौत की सजा दी है और प्रत्येक दिन वे फेसबुक, इंटरनेट या ईमेल पर कुछ फर्जी और कुछ गुप्त नाम से सुपरइम्पोज कर यह फोटो डाल रहे हैं। आरोप को खारिज करते हुए माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि इससे ज्यादा कुछ और हास्यास्पद नहीं हो सकता कि ममता उनकी पार्टी, माओवादी, वेनेजुएला, हंगरी और उत्तर कोरिया को एक महागठबंधन और शैतानों की धुरी के बतौर पेश कर रही हैं और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में इस तरह का बयान दे रही हैं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि हम देखेंगे कि क्या इसमें मानहानि का मामला बनता है। पश्चिम बंगाल के शहरी विकास मंत्री एवं वरिष्ठ तृणमूल नेता फरहाद हकीम ने ममता की टिप्पणियों का बचाव करते हुए आरोप लगाया कि माओवादी और माकपा मुख्यमंत्री की जान लेना चाहती हैं।
उन्होंने कोलकाता में कहा कि माओवादी और माकपा उनकी जान के खिलाफ हैं, यह सब को पता है। और वे लोकतंत्र तथा प्रगति की हत्या करना चाहते हैं। हकीम ने आरोपों के बारे में विस्तृत चर्चा करने से इंकार कर दिया कि माकपा और माओवादियों को उनके अभियान के लिए धन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इन संगठनों को कुछ वित्तीय मदद मिल रही है। अमेरिकी अखबार ने अपने लेख में ममता को भारत में उदारीकरण की सबसे बड़ी बाधा भी बताया। अमेरिकी अखबार ने कहा कि 543 सीटों वाली संसद में तृणमूल कांग्रेस के केवल 19 सदस्य हैं लेकिन ममता ‘काफी प्रभाव’ रखती हैं। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, May 23, 2012, 21:35