Last Updated: Tuesday, July 23, 2013, 18:39

नई दिल्ली : करीब एक वर्ष के विवादास्पद कार्यकाल के बाद सेवानिवृत्त हो रहे दिल्ली पुलिस के प्रमुख नीरज कुमार ने मंगलवार को कहा कि 16 दिसम्बर के सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद उनके खिलाफ ‘जानबूझकर अभियान’ चलाया गया ,लेकिन उन्होंने कहा कि कभी उनके दिमाग में पद छोड़ने का विचार नहीं आया।
घटना के बाद हुए व्यापक प्रदर्शनों से निपटने में पुलिस की भूमिका का बचाव करते हुए पुलिस आयुक्त ने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाया गया। उन्हें हटाने के अभियान में नेताओं की संलिप्तता होने से उन्होंने इंकार किया। वह इस महीने के अंत में सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
निवर्तमान आयुक्त ने 80 हजार बल वाली दिल्ली पुलिस को पेशेवर बनाने में अपनी भूमिका गिनाई। उन्होंने 13 महीने चले आयुक्त के कार्यकाल के दौरान स्पॉट फिक्सिंग सहित कई हाई प्रोफाइल मामलों को सुलझाने में भी अपनी उपलब्धियां गिनाईं।
यह पूछने पर कि इंडिया गेट एवं राजपथ पर प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई के बाद दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की मांग पर क्या उन्होंने पद छोड़ने पर विचार किया था तो उन्होंने कहा, ‘नहीं, कभी नहीं। मैं छोड़ने वाला नहीं हूं। मैं स्थिति से भागने में विश्वास नहीं करता। इसलिए कभी भी पद छोड़ने पर विचार नहीं किया। जानबूझकर अभियान चलाया गया और अब खत्म हो गया है।’
उनके कार्यकाल के दौरान षड्यंत्र करने वालों के बारे में पूछने पर 1976 बैच के आईपीएस अधिकारी ने उनका नाम बताने से इंकार करते हुए कहा कि वे नेता नहीं हैं। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा, ‘मैं उनके नाम अभी नहीं बताऊंगा, वे नेता नहीं हैं।’ बहरहाल कुमार ने संकेत दिए कि पद छोड़ने के बाद वे उनके नामों का खुलासा कर सकते हैं।
सामूहिक बलात्कार के बाद इंडिया गेट पर पुलिसिया कार्रवाई को उचित ठहराते हुए कुमार ने कहा कि पुलिस के पास भीड़ हटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था क्योंकि रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन नगर में आने वाले थे और स्वतंत्रता दिवस समारोहों के लिए राजपथ पर तैयारियां करनी थीं।
पुलिस आयुक्त ने कहा, ‘यह भ्रम है कि हम (प्रदर्शनकारियों से) ठीक से नहीं निपटे। पूरे दिन हमने उन्हें मनाने का प्रयास किया, हमने उन्हें तितर-बितर होने को कहा। हमने आंसू गैस के गोले दागे, हमने कई बार पानी के फव्वारे छोड़े।’ उन्होंने कहा, ‘यह नेतृत्वविहीन भीड़ थी। शरारती तत्वों ने पूरे अभियान पर कब्जा करना शुरू कर दिया था। इसलिए हमें कार्रवाई करनी थी, हमारे पास कोई विकल्प नहीं था। जब सारे विकल्प विफल हो गए तो हमने लाठीचार्ज किया और भीड़ छंट गई।’
मैच फिक्सिंग मामले में 13 वर्ष बाद आरोपपत्र दायर करने के बारे में पूछने पर कुमार ने सीधा जवाब नहीं दिया लेकिन कहा कि सकारात्मक बात यह है कि मामले को उसके निष्कर्ष तक पहुंचाया जा रहा है। इस में दक्षिण अफ्रीका के दिवंगत क्रिकेटर हैंसी क्रोन्ये का नाम भी है।
उन्होंने कहा, ‘बात यह है कि आपको खुश होना चाहिए कि जो मामला 13 वर्षों से लंबित था उसमें आखिर आरोपपत्र दाखिल हो गया। मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता कि इतना विलंब क्यों हुआ लेकिन हम आरोपपत्र दाखिल कर सके और यह अच्छी बात है। कम से कम इसे निष्कर्ष तक पहुंचाया गया।’
उनकी उपलब्धियों के बारे में पूछने पर उन्होंने सामूहिक बलात्कार मामला, स्पॉट फिक्सिंग मामला और पुणे विस्फोट मामले सहित कई मामले गिनाए। उन्हें विशिष्ट सेवा के लिए दो बार राष्ट्रपति पदक मिल चुका है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, July 23, 2013, 18:39