युवराजों की जंग का गवाह होगा यूपी चुनाव - Zee News हिंदी

युवराजों की जंग का गवाह होगा यूपी चुनाव

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने के साथ ही सत्ता की दावेदार राजनीतिक पार्टियों के युवराजों की दिलचस्प जंग का मंच भी तैयार हो गया है।

 

इस चुनाव में कांग्रेस के ‘जानशीं’ राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव के सांसद पुत्र अखिलेश यादव, भारतीय जनता पार्टी के फायरब्रांड नेता वरुण गांधी और जाट बहुल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जनाधार रखने वाले राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी अपने अपने वजन का अहसास करायेंगे।

 

पिछले साल बिहार में विधानसभा चुनाव में तमाम प्रयासों के बावजूद कांग्रेस की करारी हार के बाद उत्तर प्रदेश की चुनावी जंग राहुल के लिये प्रतिष्ठा का सवाल बन गयी है। इसके अलावा अंतर्विरोधों से घिरी दिख रही सपा को चुनावी मैदान में विजयी बनाना अखिलेश के लिये इज्जत की लड़ाई से कम नहीं है। ऐसे में इन दोनों सियासी युवराजों के बीच सर्द मौसम में हाई वोल्टेज मुकाबले की प्रबल सम्भावना है।

 

हालांकि भाजपा ने फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिये अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन पार्टी सूत्रों के मुताबिक आगामी विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान में वह इन उभरे युवराजों के मुकाबले में वरुण गांधी को उतारेगी।

 

दूसरी ओर, कभी इस डाल पर तो कभी उस डाल पर की तर्ज पर तमाम दलों से तालमेल कर चुका रालोद इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ कदमताल करता नजर आएगा और उसके चुनाव अभियान का दारोमदार पार्टी प्रमुख अजित सिंह के साथ-साथ इस पार्टी के युवराज जयंत चौधरी पर भी होगा।

 

जारी जयंत के सामने सबसे बड़ी चुनौती चुनाव में अपनी सहयोगी कांग्रेस पार्टी के महासचिव राहुल गांधी की प्रतिछाया से निकलकर जनता के सामने नये मुद्दों को लाने की होगी। प्रदेश में करीब 22 साल से गद्दी से दूर कांग्रेस को दोबारा सत्ताशीर्ष पर पहुंचाने के लिये राहुल काफी पहले से सक्रिय हैं और बिहार के कड़वे अनुभव के बाद उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव उनकी प्रतिष्ठा का सवाल बन गये हैं।

 

दिल्ली के तख्त तक पहुंचने का प्रवेश मार्ग माने जाने वाले इस सूबे में कांग्रेस की हार के क्या नतीजे होंगे, इसका सबको बखूबी अंदाजा है। दूसरी ओर, संक्रमण काल से गुजर रही सपा में अखिलेश प्रमुख झंडाबरदार के रूप में नजर आ रहे हैं। सपा चुनाव में जीत के तो बड़े-बड़े दावे कर रही है लेकिन राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक टिकट बंटवारे को लेकर यादव परिवार में जारी खींचतान और असंतोष उसे नुकसान पहुंचा सकता है।

 

 

राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक यह एक अहम मसला है जिससे सपा को पार पाना होगा। अगर सपा की जीत की उम्मीदें परवान नहीं चढ़ीं तो पार्टी कार्यकर्ताओं पर क्या असर होगा, इससे दल के छत्रप अच्छी तरह वाकिफ हैं।

 

राहुल ने अपने मिशन-2012 की शुरुआत किसान-पुलिस संघर्ष के गवाह बने भट्टा-पारसौल जाकर की थी। गांव-गांव जाकर लोगों का दिल जीतने की कोशिश कर रहे पार्टी महासचिव अब अपने चुनावी दौरों में पिछले दो दशकों के दौरान प्रदेश में बनीं गैर कांग्रेसी सरकारों पर लगातार हमले कर रहे हैं।

 

साथ ही वह भ्रष्टाचार को भी मुद्दा बना रहे हैं ताकि अन्ना मुद्दे के सम्भावित असर को कम किया जा सके।जारी दूसरी ओर, अखिलेश ने युवाओं को जोड़ने तथा सपा कार्यकर्ताओं में विश्वास जगाने के लिये गत सितम्बर से अपनी क्रांति रथ यात्रा शुरू की थी और अब तक वह अपनी यात्रा के आठ चरण पूरे कर चुके हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक निकट भविष्य में उनकी सक्रियता और बढ़ेगी। प्रदेश के करीब साढ़े 12 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 25 प्रतिशत युवा हैं और अन्य उद्देश्यों के अलावा प्रदेश के युवा मतदाताओं को अपने पक्ष में करना भी राहुल और अखिलेश का मकसद है।

 

कांग्रेस महासचिव अपनी हर जनसभा में युवाओं से प्रदेश को बदलने का आहवान कर रहे हैं, वहीं सपा नेता भी नये खून को पार्टी से जोड़ने पर खास ध्यान दे रहे हैं।

 

चुनावी तैयारियों में सबसे पीछे चल रही भाजपा धीरे-धीरे हिन्दुत्व के मुद्दे पर आती दिख रही है और राहुल गांधी की सक्रियता के मद्देनजर माना जा रहा है कि पार्टी गांधी-नेहरू परिवार का हिन्दुत्ववादी चेहरा यानी वरुण गांधी को चुनाव प्रचार में ज्यादा महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपेगी। (एजेंसी)

First Published: Monday, January 2, 2012, 14:02

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