Last Updated: Friday, July 26, 2013, 19:55
ज़ी मीडिया ब्यूरोप्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश) : उत्तर प्रदेश के एक गांव में अपने मां-बाप की एड्स से मौत हो जाने के बाद पांच बच्चे कब्रिस्तान में रहने को मजबूर हैं।
प्रतापगढ़ के जमुआ गांव में इन पांच बच्चों में सबसे छोटा बच्चा सात साल का है। ये सभी बच्चे अपने माता-पिता की एड्स से मौत हो जाने के बाद से ही कब्रिस्तान में रहने को बाध्य हैं। बच्चों के रिश्तेदार इस भय से कि कहीं वे भी न संक्रमित हो जाएं, तीन महीने पहले बच्चों को उनके हाल पर छोड़ दिया। बच्चों में एक लड़की और चार लड़के हैं।
अपने रहने के लिए कहीं जगह न मिलने पर बच्चे गांव में ही अपने माता-पिता की कब्र के पास रहने लगे। बच्चों में सबसे बड़ा लड़का 17 साल का है। कब्र के पास एक पेड़ के नीचे तारपालीन से बना टेंट और दो टूटी चारपाइयां ही बच्चों का रैनबसेरा है और अपने भोजन के लिए वे पूरी तरह से गांव वालों पर निर्भर हैं। गांव के कुछ लोग चाहते हैं कि बच्चे कब्रिस्तान छोड़कर चले जाएं।
प्रतापगढ़ जिले के मान्धाता स्थित जम्हुआ गांव के निवासी वहाजुद्दीन की पत्नी आशिया बेगम, बेटी निशात तथा बेटों इरफान, एखलाक, आदिल तथा मुनीर को गांव के लोगों ने तीन महीने पहले सिर्फ इसलिये निकाल दिया क्योंकि उन्हें डर था कि यह बीमारी गांव के बाकी बाशिंदों में भी फैल जाएगी।
गांव से निर्वासन की त्रासदी सहन कर रहे इरफान ने बताया कि हमारे पिता की मौत एड्स की वजह से हुई थी। कुछ महीने पहले पता लगा कि हमारी मां को भी एड्स हो गया है। हम गांव में अपने रिश्तेदारों के साथ रहते थे, लेकिन उन्हें यह डर लगने लगा कि उन्हें भी एड्स हो जाएगा, इसलिए उन्होंने हमें गांव के बाहर फेंक दिया। उसने बताया कि उसके पिता गुजरात में ट्रक चलाते थे जहां से वह एचआईवी संक्रमित होकर लौटे थे। उसकी मां के भी एड्स होने का पता लगने पर उसके रिश्तेदारों ने गांव में प्रचारित किया कि पूरा परिवार एड्स से संक्रमित है। तीन माह पहले परिवार को गांव से निकाल दिया गया। मां की पिछली 20 जून को मौत हो गई है और अब वे अपने माता-पिता की कब्र के पास पालीथीन का तम्बू लगाकर रहने को मजबूर हैं।
उधर, एड्स के कारण मारे गए दंपति के बच्चों की त्रासदी के बारे में पता लगने पर जिला प्रशासन ने मामले का संज्ञान लिया है। जिलाधिकारी विद्या भूषण ने जम्हुआ गांव स्थित कब्रिस्तान में जाकर बेसहारा हुए बच्चों से मुलाकात की। जिलाधिकारी ने उपजिलाधिकारी सदर को पीड़ित बच्चों को सरकारी आवास मुहैया कराने अथवा मकान के लिए पट्टा आवंटित करने तथा उनके खाने-पीने के लिये फौरन प्रबन्ध करने के आदेश देते हुए कहा है कि प्रशासन उन बेसहारा बच्चों के प्रति संवेदनशील है और उनकी हर मुमकिन मदद की जाएगी। भूषण ने बताया कि पुलिस से भी कहा गया है कि वह ग्रामीणों से बातचीत करके मामले को सुलझाए और पीड़ित बच्चों को समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास करे।
वहीं, यह मामला सामने आने के बाद सरकार हरकत में आई है और इंदिरा आवास योजना के तहत उन्हें एक घर आवंटित किया है। सरकार ने बच्चों को समाज की मुख्यधारा में लाने का वादा भी किया है।
First Published: Friday, July 26, 2013, 12:09