Last Updated: Thursday, September 8, 2011, 12:43
लखनऊ. नाम है गरीबों की सूची में, चलते हैं कार से और साथ में 40 हजार का मोबाइल फोन. उत्तर प्रदेश के सरकारी दफ्तरों में अपने को गरीब दर्शाने वाले ऐसे लोग बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति के लिए अकसर ऐसे ही ठाठ-बाट में आते हैं.
लेकिन अब राज्य सरकार अब उन लोगों पर शिकंजा कसने का मन बना रही है जो सरकारी सुविधा लेने के नाम पर तो हैं गरीब लेकिन उनके रहन- सहन रईसों से कम नहीं है. ये लोग लग्जरी कारों और 40-40 हजार रुपए के मोबाइल सेट लेकर सिफारिश करने अकसर देखे जाते हैं.
राज्य के समाज कल्याण निदेशक मिश्री लाल पासवान ने कहा कि इस तरह की शिकायतें मिल रही हैं कि जो लोग पात्र नहीं है वे भी आय प्रमाण पत्र बनवाकर अपने बच्चों के लिए फीस प्रतिपूर्ति का न सिर्फ दावा कर रहे हैं बल्कि इसका लाभ उठा रहे हैं.
इधर फीस प्रतिपूर्ति के मामले में सरकार का कानून भी बड़ा अजीब है. सरकार सामान्य वर्ग के उन छात्रों की फीस प्रतिपूर्ति करती है जिनके अभिभावकों की आमदनी सलाना एक लाख रुपए है जबकि दलितों के लिए आमदनी की सीमा दो लाख रुपए प्रतिवर्ष रखी गई है.
First Published: Thursday, September 8, 2011, 18:13