Last Updated: Friday, January 20, 2012, 13:49
नई दिल्ली: देश की प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद ने भारत दौरा रद्द करने के सलमान रश्दी के फैसले पर संतोष जताने के साथ शुक्रवार को मांग की है कि सरकार को इस विवादास्पद लेखक के यहां आने पर हमेशा के लिए पाबंदी लगानी चाहिए।
संस्था के कुलपति मौलाना अबुल कासिम नोमानी ने कहा, ‘सलमान रश्दी का भारत नहीं आने का फैसला संतोषजनक है। यह मुल्क के लिए बेहतर है, लेकिन हम चाहते हैं कि जिसने करोड़ों लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है, उस इंसान को हिंदुस्तान की सरजमीं पर कभी भी कदम नहीं रखने दिया जाए ।’
नोमानी ने कहा, ‘हम सरकार से मांग करते हैं कि इस लेखक के भारत आने पर हमेशा के लिए पाबंदी लगाई जाए क्योंकि ऐसे लोग समाज और मुल्क के लिए ठीक नहीं हैं।’
रश्दी को शुक्रवार से शुरू हुए जयपुर साहित्य महोत्सव में शामिल होना था। दारुल उलूम ने पिछले दिनों भारत सरकार से रश्दी को यहां नही आने देने की मांग की थी। इसके बाद रश्दी की इस यात्रा ने बड़े विवाद का रूप ले लिया था।
लेखक सलमान रश्दी ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर भारत नहीं आने की घोषणा की। वर्ष 1988 में प्रकाशित अपने उपन्यास द सैटनिक वर्सेज के बाद रश्दी अचानक सुखिर्यों और विवाद में आए थे। यह उपन्यास भारत में प्रतिबंधित है। इस पर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खुमेनी ने 14 फरवरी, 1989 को रश्दी के खिलाफ फतवा जारी किया था।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने रश्दी के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि बेहतर होता कि राजस्थान सरकार अपनी ओर से लेखक को भारत आने से मना करती।
मदनी ने कहा, ‘हम इसका स्वागत करते हैं कि रश्दी भारत नहीं आ रहे हैं। हमें राजस्थान सरकार के रवैये पर अफसोस है। उसने लोगों की मांग पर संजीदगी से अमल नहीं किया। उसे खुद साफ लफ्जों में रश्दी को भारत आने से मना करना चाहिए था।’ दूसरी तरफ जमीयत की राजस्थान इकाई ने रश्दी की प्रस्तावित यात्रा को लेकर विरोध प्रदर्शन के अपने तय कार्यक्रमों को रद्द कर दिया है।
(एजेंसी)
First Published: Friday, January 20, 2012, 19:19