Last Updated: Wednesday, March 14, 2012, 07:02
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में गुरुवार को शपथ लेने वाले अखिलेश यादव विधानसभा का चुनाव लड़ने के बजाय विधान परिषद का सदस्य बन सकते हैं।
बजट सत्र में भाग लेने के बाद बुधवार को लखनऊ वापस आने पर अखिलेश यादव ने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में संकेत दिए कि वह विधानसभा का चुनाव लड़ने के बजाय विधान परिषद का सदस्य बन सकते हैं।
अखिलेश यादव अभी कन्नौज से लोकसभा सदस्य हैं और वर्तमान में वह विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। संविधान के तहत मुख्यमंत्री बनने के बाद अखिलेश को छह महीने के अंदर विधानसभा अथवा विधान परिषद का सदस्य बनना जरूरी है। विधान परिषद का रास्ता अपना कर अखिलेश यादव मायावती के पदचिह्नों का अनुसरण करेंगे। वर्ष 2007 में चुनाव जीतने के बाद मायावती राज्यसभा छोड़कर विधान परिषद की सदस्य बन गई थीं।
अखिलेश यादव ने कहा कि हालांकि पार्टी के कई विधायकों ने उनके लिए अपनी सीट छोड़ने की पेशकश की थी मगर उनकी (अखिलेश की) नजर में यह उचित नहीं है कि 'जनता ने जिन्हें मत देकर अपना जनप्रतिनिधि चुना है उस जीते हुए विधायक को हटा कर वहां का प्रतिनिधित्व मै करने लगूं।’
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, March 14, 2012, 12:32