Last Updated: Friday, August 31, 2012, 14:28

मुंबई : शिवसेना पार्षद कमलाकर जमसंदेकर की हत्या के मामले में शुक्रवार को विशेष मकोका अदालत ने अपराधी से राजनीतिज्ञ बने अरुण गवली को उम्रकैद की सजा सुनाई।
विशेष मकोका न्यायाधीश पृथ्वीराज चव्हाण ने यहां फैसला सुनाते हुए गवली पर 17 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया, जिसे जमा न करने की सूरत में उसे जेल में तीन साल और बिताने होंगे।
गवली के साथ इस मामले में 10 अन्य लोगों को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। एक आरोपी सुनील घाटे सिर्फ शस्त्र अधिनियम में दोषी पाया गया जिसे तीन साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। अदालत ने गवली को संगठित अपराध गिरोह का सदस्य होने और जबरन वसूली के मामलों में भी दस..दस साल कैद की सजा सुनाई।
न्यायाधीश चव्हाण ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मौत के बजाय मैं तुम्हें उम्रकैद दे रहा हूं। अदालत में जिरह के दौरान गवली ने न्यायाधीश से कहा था कि 30 लाख रुपये की ‘मामूली’ सी राशि के लिए शिव सेना के पार्षद को मारने का कोई कारण नहीं था।
गवली ने तर्क दिया कि 2007 के बृहन्नमुम्बई निगम चुनावों के बाद जब शिवसेना को बहुमत नहीं मिला तो हमारी अखिल भारतीय सेना ने उसे (बहुमत हासिल करने के लिए) अपने चार पाषर्दों का समर्थन दिया। उस समय हमारे पाषर्दों ने (समर्थन मुहैया कराने के लिए) काफी आर्थिक लाभ हासिल किया और मेरे लिए जमसंदेकर को 30 लाख रुपये के लिए मारने का कोई कारण नहीं था।
गत 24 अगस्त को अदालत ने गवली और 11 अन्य को 2008 के जमसंदेकर हत्याकांड में दोषी ठहराया था। आरोप पत्र के अनुसार एक भूमि विवाद के चलते शिव सेना के पार्षद को मारने के लिए गवली गिरोह को 30 लाख रुपये दिए गए थे। इससे पूर्व गवली के वकील सुदीप पासबोला ने अदालत में तर्क दिया था कि उनके मुवक्किल को मृत्युदंड नहीं दिया जाना चाहिए जैसी कि अभियोजन ने मांग की है । (एजेंसी)
First Published: Friday, August 31, 2012, 11:50