Last Updated: Saturday, April 6, 2013, 13:12

हिसार : आजादी के बाद भारत में पहली बार किसी महिला को फांसी दी जाएगी। हरियाणा के बहुचर्चित रेलूराम हत्याकांड की दोषी सोनिया की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज कर दी है। सोनिया अपने माता-पिता समेत 8 लोगों की हत्या की दोषी पाई गई थी।
गौरतलब है कि 2001 अगस्त में पूर्व विधायक रेलूराम पुनिया समेत परिवार के 8 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में बेटी सोनिया और दामाद संजीव ने रेलूराम, रेलूराम की पत्नी, पुत्र सुनील, बहु शकुंतला, बेटी प्रियंका, 4 वर्षीय पोते लोकेश, ढाई वर्षीय पोती शिवानी और डेढ़ महीने की प्रीति की हत्या की थी।
इस हत्याकांड में अदालत ने रेलूराम की बेटी सोनिया और उसके पति संजीव को दोषी पाया था। इस हत्याकांड में सेशन कोर्ट ने 31 मई 2004 को दोनों को फांसी की सजा सुनाई थी। इस फैसले को सोनिया और संजीव ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने 12 अप्रैल 2005 को सेशन कोर्ट के फैसले को पलटते हुए फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था।
बाद में रेलूराम के भाई ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने फरवरी 2007 में हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया और फांसी की सजा को बरकरार रखा। सोनिया और संजीव ने सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
समीक्षा याचिका खारिज होने के बाद रेलूराम के भाई राम सिंह ने हिसार की सेशन कोर्ट से फांसी की तारीख तय करने के लिए आग्रह किया। सेशन कोर्ट ने 26 नवंबर 2007 को फांसी की तारीख तय की थी लेकिन इससे पहले सोनिया और संजीव ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगा दी थी।
राष्ट्रपति ने सोनिया और संजीव की दया याचिका को खारिज कर दिया है। दया याचिका खारिज होने के बाद हिसार कोर्ट को फांसी की तारीख तय करनी है। फिलहाल अभी दोनों अंबाला जेल में बंद हैं।
First Published: Saturday, April 6, 2013, 13:12