Last Updated: Thursday, March 15, 2012, 12:59
बेंगलूर : कर्नाटक विधानसभा में सत्तारूढ़ भाजपा के तीन विधायकों के मोबाइल पर अश्लील वीडियो क्लिप देखने से जुड़े मामले की जांच कर रही विधायी समिति के अध्यक्ष ने गुरुवार को कहा कि विधानसभा में आठ से 10 अन्य विधायकों ने भी यह क्लिप देखा था। श्रीशैलप्पा बिदरूर ने हालांकि संकेत दिया कि इन विधायकों को तलब नहीं किया जाएगा क्योंकि यह समिति के कार्यक्षेत्र का हिस्सा नहीं है।
उनकी टिप्पणी समिति सदस्य नेहरू ओलेकर के उस दावे की पुष्टि करती है जिसमें उन्होंने इस महीने की शुरूआत में यह कहकर तहलका मचा दिया था कि इस अश्लील वीडियो क्लिप को 8-10 अन्य विधायकों ने देखा था। इसमें विपक्षी पार्टियों के विधायक भी शामिल हैं।
बिदरूर ने संवाददाताओं से कहा कि समिति 20 मार्च तक विधानसभा अध्यक्ष के जी बोपैया को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। लक्ष्मण सावदी, सी सी पाटिल और जे कृष्ण पालेमर को गत सात फरवरी को मंत्री पद से तब इस्तीफा देना पड़ा था जब वे विधानसभा में अश्लील वीडियो क्लिप देखते कैमरे में कैद कर लिए गए। इस दृश्य का क्षेत्रीय टेलीविजन चैनलों पर प्रसारण किए जाने के बाद जनता में काफी रोष था। यह पूछे जाने पर कि कितने विधायकों ने विधानसभा में अश्लील सामग्री देखी थी तो बिदरूर ने कहा, यह संख्या आठ से 10 हो सकती है।
उन्होंने कहा, सीसीटीवी फुटेज को देखने के दौरान यह (आठ से दस विधायक अश्लील वीडियो क्लिप देखते पाए गए) पाया गया लेकिन तब भी समिति ने उसपर कोई फैसला नहीं किया है।
बिदरूर से जब पूछा गया कि क्या इन आठ से 10 विधायकों को भी गवाही के लिए नोटिस जारी किया जाएगा तो उन्होंने कहा, जरूरत पड़ने पर। लेकिन बाद में उन्होंने संकेत दिया कि ऐसा होने की संभावना कम है। उन्होंने संकेत दिया कि समिति का कार्यक्षेत्र सिर्फ इन तीन लोगों तक सीमिति है। समिति ने मामले के कानूनी पहलू और ‘क्या अनुशंसा की जा सकती है’ इसपर विचार विमर्श के लिए विधि विभाग के दो शीर्ष अधिकारियों को बुलाया।
बोपैया ने इस मामले की जांच के लिए सात सदस्यीय सदन की समिति का गठन किया था जिसमें भाजपा के चार, कांग्रेस के दो और जद एस के एक सदस्य को शामिल किया गया था। लेकिन विपक्ष ने यह कहकर समिति का बहिष्कार किया था कि यह कदम इस प्रकरण पर लीपापोती करने का प्रयास है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, March 15, 2012, 23:56