Last Updated: Thursday, August 1, 2013, 11:25
ज़ी मीडिया ब्यूरो/एजेंसी लखनऊ : उत्तर प्रदेश के नोएडा में खनन माफिया के खिलाफ अभियान चलाने वाली आईएएस अफसर दुर्गाशक्ति नागपाल के निलंबन को लेकर मचे बवाल के बीच राज्य सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई वापस नहीं लेने के संकेत दिए और कहा कि उस अधिकारी की लापरवाही से साम्प्रदायिक दंगा होने की आशंका थी। लिहाजा उसके विरुद्ध कार्रवाई की गई और इस मामले में खनन माफिया की कोई भूमिका नहीं है।
उधर, दुर्गा के निलंबन केस में एक नए घटनाक्रम के तहत गौतमबुद्ध नगर के डीएम (जिला मजिस्ट्रेट) ने यूपी सरकार को सौंपे गए एक रिपोर्ट में कहा है कि आईएएस अधिकारी दुर्गाशक्ति नागपाल ने किसी भी दीवार को नहीं तुड़वाया। रिपोर्ट के अनुसार, नागपाल को प्रशासन से कादलपुर गांव का दौरा करने का आदेश मिला था और वहां जाकर सरकारी जमीन पर किसी तरह के अवैध निर्माण किए जाने का पता लगाने को कहा गया था।
प्रदेश के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि गौतमबुद्धनगर की उपजिलाधिकारी दुर्गाशक्ति के पिछले दिनों हुए निलम्बन में खनन माफिया का हाथ होने की भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं।
विपक्षी राजनीतिक दलों और आईएएस एसोसिएशन के दबाव के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार गौतमबुद्ध नगर (सदर) की उपजिलाधिकारी दुर्गाशक्ति नागपाल का निलंबन वापस लेने को तैयार नहीं दिख रही है और उन्हें आरोपपत्र देने की तैयारी में है। आईएएस अधिकारी ने नोएडा में खनन माफिया के खिलाफ मोर्चा खोला था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बारे में कहा कि आरोपपत्र तैयार हो रहा है, जो उन्हें (दुर्गा शक्ति) शीघ्र ही सौंप दिया जाएगा। सरकार के वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव द्वारा नागपाल के निलंबन को उचित ठहराये जाने के बाद इस संबंध में सरकार के रुख का संकेत मिल चुका था कि वह फिलहाल दुर्गा शक्ति का निलंबन वापस लेने को तैयार नहीं है और उन्हें शीघ्र ही आरोप पत्र सौंप दिया जाएगा।
यादव ने कहा कि गौतमबुद्धनगर की उपजिलाधिकारी दुर्गाशक्ति के पिछले दिनों हुए निलम्बन में खनन माफिया का हाथ होने की भ्रांतियां फैलायी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि दुर्गाशक्ति ने रबुपुरा थाना क्षेत्र के मुस्लिम बहुल कादलपुर गांव में एक निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार को कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बगैर अदूरदर्शी तरीके से गिरवा दिया था। जिस जमीन पर वह दीवार बनाई जा रही थी, उसके मालिक को उस निर्माण पर कोई आपत्ति नहीं थी। लेकिन कुछ अराजक तत्व पिछले कुछ समय से वहां साम्प्रदायिक दंगा कराने की साजिश रच रहे थे। उन्होंने नागपाल से दीवार के निर्माण के संबंध में विवाद की शिकायत की और अधिकारी ने उनका विश्वास कर लिया।
यादव ने कहा कि सरकार लापरवाही बरतने वाले किसी भी अफसर के खिलाफ कार्रवाई करेगी और दुर्गाशक्ति के खिलाफ भी वही कार्रवाई हुई है। इसमें खनन माफिया की कोई भूमिका नहीं है। यह पूछे जाने पर कि क्या दुर्गाशक्ति का निलम्बन वापस होगा, यादव ने कहा कि अभी कुछ नहीं, यह प्रशासनिक मामला है।
इस बीच, अखिल भारतीय आईएएस संगठन ने मांग की है कि युवा आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल का निलंबन तुरंत वापस लिया जाए जिन्होंने उत्तरप्रदेश में रेत माफिया के खिलाफ कठोर कार्रवाई की थी। संगठन के सचिव संजय आरभूस रेड्डी ने दिल्ली में कहा कि जो कुछ भी गलत है उसे तुरंत ठीक किया जाना चाहिए। इस तरह की कार्रवाई अनुपयुक्त है। उन्होंने कहा कि संगठन के सदस्य कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मामलों के राज्यमंत्री वी. नारायणसामी, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव, आईएएस के निजी मामलों के नोडल अधिकारी डा. श्यामल सरकार और कैबिनेट सचिव अजित सेठ से गुरुवार को अपनी मांग को लेकर मुलाकात करेंगे।
रेड्डी ने कहा कि हम एमओएस, डीओपीटी सचिव और कैबिनेट सचिव से मुलाकात करेंगे। हम उनसे मामले में हस्तक्षेप करने और आईएएस अधिकारी का निलंबन वापस लेने की मांग करेंगे। हम अधिकारियों के लिए ऑल इंडिया सर्विसेज (अनुशासन एवं अपील) रूल्स 1969 में भी आवश्यक सुरक्षा की मांग करेंगे।
गौर हो कि वर्ष 2010 बैच की उत्तरप्रदेश कैडर की आईएएस अधिकारी नागपाल को प्रक्रियाओं का पालन किए बगैर एक मस्जिद की दीवार ढहाने का आदेश देने के आरोप में 27 जुलाई को निलंबित कर दिया गया था।
उधर, दिल्ली में नारायणसामी ने कहा कि केंद्र उत्तर प्रदेश सरकार की रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है और उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। इस बीच, आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि गत 27 जुलाई को गौतमबुद्ध नगर की उपजिलाधिकारी सदर पद से निलंबित की दुर्गाशक्ति ने बुधवार शाम राजस्व परिषद लखनऊ के अध्यक्ष जगन मैथ्यूज के समक्ष परिषद में अपनी आमद दर्ज करा दी।
First Published: Thursday, August 1, 2013, 11:25