Last Updated: Sunday, March 25, 2012, 11:28
नई दिल्ली: अपने पिता हरिवंश राय बच्चन की लोकप्रिय कविता संग्रह 'मधुशाला' को अपनी आवाज में रिकार्ड कर रहे महानायक अमिताभ बच्चन की माने तो आधुनिक तकनीक मूल संगीत की आत्मा को नष्ट करती जा रही है।
69 वर्षीय अमिताभ ने अपने ब्लॉग 'बिगबी डॉट बिग अड्डा डॉट कॉम' पर लिखा, 'वर्तमान में हम बिना किसी आधुनिक उपकरण की मदद से बनाए गए संगीत के लिए तरस रहे हैं। हम ढोलक और तारों की वास्तविक और मूल आवाज सुनना चाहते हैं। सरोद, सारंगी और शहनाई के उस्तादों की जंग आधुनिक तकनीक और विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी की मदद से बनाए संगीत के तले दब गई है।'
जीवन की जटिलताओं से रूबरू कराती 'मधुशाला' का प्रकाशन वर्ष 1935 में हुआ था। वैसे बिग बी संगीत रिकार्डिग के पुराने तरीके को भी याद करते हैं।
उन्होंने कहा, 'वे दिन जा चुके है, जब गाने की रिकार्डिग के लिए बड़े से स्टूडियो में 100 से 150 लोग पूरे दिन बैठे रहते थे और एक ही बार में सही काम करते थे। एक गलती का परिणाम सारे गीत की दोबारा से रिकार्डिग होता था। अब इसका स्थान बिजली के यंत्रों ने ले लिया है। एक छोटा सा कमरा होता है, जिसमें मुश्किल से पांच से छह लोग होते हैं। स्टूडियों में एक बड़ी सी मशीन होती है, जो आवाजों को संतुलित करती है।'
अमिताभ इन दिनों अपने दिवंगत पिता की कविताओं को लोकप्रिय करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'जब मैं स्टूडियों में खाली बैठा होता हूं, तो सोचता हूं कि मेरे पिता के शब्दों और विचारों को कौन सुनना पसंद करेगा? अगर इन्हें भी व्यापारिक मूल्यों के लिहाज से डिजाइन किया जाए, तो यह मुझे दुख पहुंचाएगा। यह एक ऐसा प्रस्ताव है, जो आज के युवाओं के लिए अप्रसांगिक है।' (एजेंसी)
First Published: Sunday, March 25, 2012, 16:58