Last Updated: Friday, May 17, 2013, 20:36
ज़ी मीडिया ब्यूरो `औरंगजेब’ फिल्म की कहानी हरियाणा के गुड़गांव के लैंड−माफिया और पुलिस के इर्द-गिर्द घूमती है। इस फिल्म की कहानी में दो परिवारों की जंग को दर्शाया गया है जो जमीनों की खरीद-फरोख्त में अपना साम्राज्य बनाने की पुरजोर कोशिश करते हैं । इन दो परिवारों में पहला परिवार है - पुलिस ऑफिसर विकांत यानी ऋषि कपूर का, जो खुद एक पुलिस ऑफिसर हैं।
औरंगजेब फिल्म गुड़गांव के एक छोटे से गांव में लैंड माफिया के बढ़ते प्रभावों पर आधारित है। फिल्म में यशवर्धन (जैकी श्रॉफ) एक रियल स्टेट डेवलपर है । इसके ग्रुप में सबसे शातिर है अजय यानी अर्जुन कपूर जो कोई भी गैरकानूनी काम करने के बाद सुराग नहीं छोड़ता है। पुलिस महकमा इस माफिया को को पकड़ने की कोशिश करता है लेकिन नाकाम रहता है। इस तरह कहानी आगे बढ़ती रहती है और लैंड माफिया, साजिश और खून खराबे का सिलसिला चलता रहता है जिसकी फिल्म में भरमार है।
फिल्म में किरदारों की भूमिका की बात करे तो यकीनन ऋषि कपूर ने बाजी मारी है। फिल्म के हर सीन में अपनी छाप बरकरार रखी है। उम्र के बढ़ते प्रभावों का असर उनपर नहीं दिखता और एक्टिंग वह शानदार कर लेते हैं। अर्जुन कपूर अपने किरदार में जमे है और उनकी भूमिका औसत कही जा सकती है। फिल्म की रिलीज से पहले अर्जुन और साशा के इंटिमेट सींस की चर्चा जोरों पर रही थी लेकिन फिल्म में यह रंग फीका नजर आता है। हालांकि `औरंगजेब` में इंटीमेट सींस की भरमार है। लेकिन कई बार ऐसा लगता है कि इन सींस को बेवजह ठूंसा गया है। फिल्म में अर्जुन के किरदार को ठीक ढंग से तराशा नहीं गया है। जैकी श्राफ ने भी अपने किरदार को शानदार ढंग से निभाया है।
फिल्म में लैंड माफिया और उनके बढ़ते प्रभावों का तानाबाना बेहतर ढंग से बुना गया है लेकिन कई जगहों पर इसमें घालमेल हो गया जिससे फिल्म थोड़ी बिखरी हुई नजर आती है। हालांकि फिल्म की पटकथा ने इसे बांधे रखा है लेकिन एक बात बार-बार खटकती है कि अर्जुन कपूर की भूमिका को और कसा जा सकता था जिसका अभाव दिखता है। फिल्म का संगीत भी ठीकठाक है। कुल मिलाकर फिल्म एक बार देखी जा सकती है।
First Published: Friday, May 17, 2013, 17:27