Last Updated: Wednesday, November 7, 2012, 13:57
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मुंबई : उन्होंने कई रोमांटिक फिल्में देकर सुपरस्टारडम हासिल किया। दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, दिल तो पागल है और कुछ कुछ होता है जैसी रोमांटिक फिल्में दीं, लेकिन फिर भी शाहरुख को ‘किंग ऑफ रोमांस’ कहलाना पसंद नहीं है।
बॉलीवुड में अपनी यात्रा उन्होंने 1992 में आई फिल्म दीवाना से की थी। इसके बाद शाहरुख ने डर, बाजीगर और अंजाम जैसी सफल फिल्में दीं जिसमें उन्होंने नकारात्मक छवि वाला किरदार निभाया था।
लेकिन वर्ष 1995 में आई फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ ही वह फिल्म थी जिससे शाहरुख की रोमांटिक हीरो वाली छवि बनी। हाल ही में एसआरके 47 वर्ष के हो चुके हैं। उनका मानना है कि एक अभिनेता के रूप में उनमें और भी बहुत कुछ है।
शाहरुख ने बताया कि मैं इस बात को मानता हूं कि लड़कियां मुझे रोमांटिक किरदारों में पसंद करती हैं। मैं उन सभी का आदर करता हूं, लेकिन मैं ‘किंग ऑफ रोमांस’ के बजाय ‘बादशाह’ कहलाना ज्यादा पसंद करूंगा। मैं एक अभिनेता हूं। मैंने 75 फिल्में की हैं और मैंने इंडस्ट्री में 21 साल बिताए हैं।
उन्होंने कहा कि मुझे किंग ऑफ रोमांस कहलाना पसंद नहीं। ‘डॉन’ को करके मुझे काफी आनंद मिला। मुझे ‘माई नेम इज खान’ का किरदार भी काफी पसंद है। मैं एक अभिनेता के तौर पर जाना जाना चाहता हूं।
एसआरके को ‘स्वदेस’, ‘चक दे इंडिया’ और ‘माई नेम इज खान’ जैसी फिल्मों में उनकी भूमिकाओं के लिए खूब प्रशंसा भी मिली। अभिनेता का मानना है कि उन्हें रोमांटिक छवि तक ही सीमित नहीं किया जाना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 7, 2012, 13:57