Last Updated: Saturday, July 13, 2013, 15:48
ज़ी मीडिया ब्यूरो/एजेंसीमुंबई: प्रख्यात अभिनेता प्राण का शनिवार को यहां उनके परिवार और हिंदी सिनेमा जगत की कुछ हस्तियों की मौजूदगी में शिवाजी पार्क स्थित विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार कर दिया गया। वह 93 वर्ष के थे। बॉलीवुड में अपने नकारात्मक किरदारों के मशहूर प्राण का यहां लीलावती अस्पताल में शुक्रवार देर शाम निधन हो गया था। वह लंबे समय से बीमार थे।
अंतिम यात्रा के वक्त उनके पार्थिव शरीर को फूलों से सजाया गया था। भारी बारिश व ट्रैफिक के बीच शनिवार सुबह उनका शव दादर पश्चिम स्थित शवदाह गृह ले जाया गया। अंतिम संस्कार स्थल पर भारी सुरक्षा-व्यवस्था थी। दोपहर 12.30 बजे सम्पन्न हुए अंतिम संस्कार में हिंदी फिल्मोद्योग की कुछ चुनिंदा हस्तियां ही मौजूद थीं।
प्राण की अंतिम यात्रा में शामिल होने वाली हस्तियों में गीतकार गुलजार, फिल्मकार करन जौहर, शक्ति कपूर, शत्रुघ्न सिन्हा, अनुपम खेर, डैनी डेनजोंगपा, राज बब्बर व महानायक अमिताभ बच्चन व लेखक सलीम खान शामिल थे।
प्राण ने 350 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। कश्मीर की कली, खानदान, औरत, बड़ी बहन, जिस देश में गंगा बहती है, हाफ टिकट, उपकार, पूरब और पश्चिम, और डॉन जैसी फिल्मों में प्राण ने अपनी विलेन की भूमिका से लोगों के मन पर एक अमिट छाप छोड़ी है।
12 फरवरी 1920 को पुरानी दिल्ली में जन्मे प्राण की शिक्षा कपूरथला, उन्नाव, मेरठ, देहरादून और रामपुर आदि जगहों पर हुई। प्राण के पिता लाला केवल कृष्णन सिकंद सरकार नौकरी में थे। शुरुआती दिनों में प्राण फोटोग्राफर बनना चाहते थे लेकिन भाग्य ने उनके लिए कुछ और ही तय कर रखा था। एक फिल्म निर्माता के साथ अचानक हुई मुलाकात के बाद उन्हें वर्ष 1940 में पहली फिल्म (पंजाबी) ‘यमला जट’ में ब्रेक मिला। वहां से प्राण ने बतौर अभिनेता कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उसके बाद उन्होंने चौधरी (1941), खानदान (1942), कैसे कहूं (1945) और बदनामी (1946) आदि में काम किया।
विभाजन के बाद प्राण अपनी पत्नी शुक्ला, पुत्रों अरविन्द और सुनील के साथ मुंबई वापस आ गए लेकिन उनके लिए यह समय आसान नहीं रहा। उन्हें काम पाने में तमाम मुश्किलें आईं। प्राण ने तो आशा ही छोड़ दी थी लेकिन तभी सादत हसन मंटो ने देव आनंद स्टारर ‘जिद्दी’ (1948) में उन्हें एक रोल दिया जो उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट सिद्ध हुआ। वर्ष 1969 से 1982 तक प्राण हिन्दी सिनेमा में लगभग हर अभिनेता के खिलाफ खलनायक की भूमिका में रहे। मधुमति, जिस देश में गंगा बहती है, राम और श्याम और देवदास जैसी फिल्मों के लिए प्राण को अभिनेताओं के बराबर धन और सम्मान मिला। विलेन की भूमिका निभाते-निभाते एक ऐसा वक्त आया जब लोगों ने अपने बच्चों का नाम प्राण रखना छोड़ दिया। लोग उनके नाम से नफरत करने लगे। उसी दौरान ‘उपकार’ फिल्म में ‘मंगल चाचा’ की भूमिका निभाकर प्राण हर दिल अजीज बन गए। उनकी इस भूमिका ने लोगों की आंखों में आंसू ला दिए और वे रातों-रात विलेन से चरित्र अभिनेता बन गए।
इसके बाद प्राण ‘जंजीर’ में अमिताभ बच्चन के साथ ‘शेर खान’ और गुलजार की फिल्म ‘परिचय’ में एक अनुशासन प्रिय लेकर नरम दिल वाले दादा की भूमिका में नजर आए। भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि देश ने एक महान कलाकार खो दिया। बॉलीवुड में खलनायक की भूमिका के लिए मशहूर एक अन्य अभिनेता प्रेम चोपड़ा ने प्राण को आने वाली पीढ़ियों के लिए महान प्रेरणास्रोत बताया। निर्माता-निर्देशक करण जौहर ने कहा कि प्राण का निधन एक भव्य और गौरवशाली युग का अंत है।
प्राण कृष्ण सिंकद ने 1940 से 1990 के दशकों के बीच 400 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों तरह के किरदारों के साथ न्याय किया। उन्हें ‘खानदान’, ‘मधुमति’, ‘मिलन’, ‘औरत’, ‘बड़ी बहन’, ‘जिस देश में गंगा बहती है’, ‘हाफ टिकट’, ‘उपकार’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘डॉन’, ‘ज़ंजीर’ और ‘अमर, अकबर, एंथनी’ में उनके बेहतरीन अभिनय के लिए जाना जाता है।
First Published: Saturday, July 13, 2013, 12:42