Last Updated: Thursday, November 1, 2012, 14:14

नई दिल्ली: उनके पास न तो ही मैन जैसी कद काठी है और न ही उन्होंने अपनी फिल्मों में जोरदार मारधाड़ की है, वह फिल्मी दुनिया के सबसे खूबसूरत सितारे भी नहीं हैं, फिर भी ऐसा क्या है शाहरुख़ खान में कि वह पिछले दो दशक से भी अधिक समय से बदलते भारत के युवा की तस्वीर हैं। फिल्म समीक्षकों और फिल्मी दुनिया के आलिमों का मानना है कि शाहरुख खान उदारीकरण के बाद के भारत का चेहरा हैं।
मशहूर फिल्म समीक्षक तरण आदर्श के अनुसार शाहरुख़ ख़ान की शख्सियत भारत के बेचैन युवा समाज के साथ जुड़ गयी है जो असीम संभावनाओं को अपने दामन में समेट लेने को तैयार है। उन्होंने कहा कि शाहरुख़ खा़न के किरदारों को देखकर पता लगता है कि भारतीय फिल्मों का नायक अब सिर्फ मार पिटाई करने वाला नहीं रह गया। उनके किरदारों में ऐसा युवा दिखता है जो बड़े शहरों में रहकर अंग्रेजी बोलने की ख्वाहिश रखता है।
दिल्ली की गलियों में अमिताभ बच्चन जैसे बाल, दिलीप कुमार जैसे अंदाज और मर्लिन ब्रैंडो की आवाज की नकल करने वाला एक लड़का अभिनेता बनने की हसरत लेकर मुंबई पहुंचता है और फिर दुनिया का सबसे बड़ा बॉलीवुड सितारा बन जाता है। ‘बादशाह जैसा चेहरा’ यानी शाहरुख सिर्फ एक अभिनेता ही नहीं बल्कि करोड़ों युवा भारतीयों के सपनों की गाथा है।
सोलंकी ने कहा कि शाहरुख के व्यक्तित्व में एक तरह की हाजिरजवाबी दिखती है जिसे उनके साक्षात्कारों या लाइव शो में देखा जा सकता है। देश का युवा भी ऐसी ही हाजिरजवाबी और दिल्लगी से लबरेज़ है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर शाहरुख के किरदार जमीन से जुड़े हुये नहीं दिखते इसलिये कई फिल्म समीक्षकों ने उन्हें अभिनेता के तौर पर नकार भी दिया फिर भी उनकी कहानियां भारतीय जनमानस के दिल में एक यकीन पैदा करती हैं। वह कभी राज बनकर कभी राहुल बनकर तो कभी अमन बनकर दर्शकों का मनोरंजन तो करते ही है साथ ही उनका किरदार लोगों के साथ एक भावनात्मक रिश्ता बना लेता है।
दो नंवबर 1965 को जन्मे इस अभिनेता ने बॉलीवुड को ब्रांड से जुड़ी पहचान दी। वह शायद पहले ऐसे अभिनेता है जिन्होंने खुद को बहुराष्ट्रीय ब्रांडों के साथ जोड़ा।
मेडिसन कम्यूनिकेशन्स की व्यापार प्रबंधक अंजना साइकिया ने बताया कि शाहरुख को कई ब्रांडो ने अपने साथ इसलिये जोड़ा क्योंकि एक रिक्शेवाले से लेकर एक अप्रवासी भारतीय तक उनसे जुड़ा हुआ महसूस कर पाता है। वह बताती हैं कि शाहरुख़ के किरदार प्रेम के साथ पारिवारिक मूल्य भी लेकर आते हैं इसलिये कई ब्रांडों ने उन्हें अपना प्रतिनिधि बनाया।
फिल्म समीक्षक गौरव सोलंकी ने बताया कि शाहरुख़ ऐसे युवा की तस्वीर हैं जिसे दुनियावी बातों की फि़क्र नहीं है फिर भी वह अपने प्रेम को एक जज़्बे के साथ जीता है। उनके किरदारों की प्रेम कहानियों में एक ईमानदारी दिखती है इसलिये युवा अपनी प्रेम कहानियों में खुद को शाहरुख़ से जोड़ पाते हैं। (एजेंसी)
First Published: Thursday, November 1, 2012, 14:14