Last Updated: Friday, June 22, 2012, 22:32

मुंबई : बॉलीवुड में आज तक आपने जो गैंगवॉर देखी है, जो अंडरवर्ल्ड देखा है, उन सबकी तस्वीर धुल जाने वाली है। क्योंकि सही मायनों में यूपी और बिहार का अंडरवर्ल्ड अब सिनेमा के जरिये आपकी ज़िंदगी में दाखिल होने जा रहा है। फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर इसी की शुरुआत है।
फिल्म के प्रोमोज ने ही साफ़ कर दिया है कि गैंग्स ऑफ वासेपुर बदले की कहानी है। बस सवाल इस बात का है कि बदला वो बिना कहे लेगा या कह के लेगा। कहानी ये सरदार खान की है, जो अपने बाप की मौत का बदला लेना चाहता है। वो रामाधीर सिंह की सल्तनत ख़त्म करके वासेपुर में अपना दौर वापस लाना चाहता है। कोल माफिया, रंगदारी और दबंगई के इस खेल में खून है, गालियां हैं, बेहोशी है, मदहोशी है और कॉमेडी भी है। इस फिल्म। की कहानी बेहद खूबसूरत है। कहानी 2 घंटे 40 मिनट की इस फिल्म में आप एक मिनट के लिए भी निगाहें भटकाते नहीं है और फिर भी फिल्म खत्मक नहीं होती।
कहानी ऐसे मोड़ पर आकर छूटती है, जहां आप आगे क्या होगा वाले सवाल के संग बेसब्र होने लगते हैं। लेकिन आगे का सवाल इस फिल्म की अगली कड़ी के संभाल के रखा गया है। हीरो, हीरोइन और विलेन के पैटर्न से हटकर बनाई गई ये कहानी, एक शुरुआत है। जिशान कादरी, सचिन लाडिया और अनुराग की इस कहानी को दर्शक जरूर सराहेंगे।
जिस अप्रोच के साथ गैंग्स ऑफ वासेपुर को अनुराग कश्यप ने बनाया है, बिला शक ये फिल्म एक ऐसा प्रयोग है, जो अब तक कम से कम हिंदी सिनेमा में तो नहीं किया गया है। हर किरदार, हर सिचुएशन की रफ्तार इतनी तेज और इतनी साफ़ है कि आपको ठहरने का मौका नहीं मिलेगा। डायरेक्शन काफी अच्छान है।
कैमरा मुवमेंट बिल्कुल ठेठ और देसी है। सेट और लोकेशन आपको बिहार और यूपी के कस्बों के रंग से वाकिफ़ करा देंगे। राजीव रवि की सिनेमैटोग्राफी हक़ीकत के बेहद करीब है। फिल्म का म्यूज़िक बेहद शानदार है। बिहार के लाला गाना पहले ही चार्टबस्टर हो चुका है, वुमेनिया गाने को तारीफ़ें मिल रही हैं। स्नेहा ख़ानवलकर के म्यूज़िक के साथ वरुण और पीयूष मिश्रा के बोलों ने फिल्म को और देसी बनाने में खूब मदद की है।
सरदार ख़ान के रोल में मनोज वाजपेयी का अंदाज़ आपको दांतों तले उंगली दबा लेने पर मजबूर कर देगा। यकीनन ये मनोज वाजपेयी के करियर की सबसे शानदार परफॉरमेंस है। डायरेक्टर तिग्मांशु धुलिया ने इस फिल्म से अपना एक्टिंग डेब्यू किया है और किरदार को बेहद वजनदार बना दिया है। नवाज़ुद्दीन का रोल हांलाकि इस फिल्म में छोटा है, लेकिन बेहद दिलचस्प है फिल्म की अगली कड़ी नवाज़ुद्दीन के ही कंधों पर है। पीयुष मिश्रा अपने रोल में फिट हैं, ऋचा चढ्ढा का रोल अच्छा है, लेकिन रीमा सेन अपने रोल बेहद बोल्ड लगी हैं। गैंग्स ऑफ वासेपुर क्लास ऑफ मास के पैमाने पर ये फिल्म बिंदास है। (अश्विनी कुमार)
First Published: Friday, June 22, 2012, 22:32