Last Updated: Friday, February 15, 2013, 13:45

भोपाल: बालीवुड के मेगा स्टार अमिताभ बच्चन ने भोपाल के राजाभोज विमानतल के नए अंतर्राष्ट्रीय टर्मिनल की तुलना किसी ‘स्पेस क्राफ्ट’ से की है।
‘वेलेंटाइन डे’ के दिन कल अपने पूरे परिवार के साथ चार्टेड विमान से दोपहर में यहां पहुंचे अमिताभ ने अपने ताजा ब्लाग में भोपाल के राजाभोज विमानतल के नए अंतर्राष्ट्रीय टर्मिनल की दिल खोलकर तारीफ की है।
भोपाल अमिताभ की ससुराल है और उनकी पत्नी जया बच्चन की मां इंदिरा भादुड़ी यहां श्यामला हिल्स इलाके में अंसल अपार्टमेंट के एक फ्लैट में रहती हैं, जो जया के नाम पर ही खरीदा गया है। अमिताभ यहां फिल्मकार प्रकाश झा की फिल्म ‘सत्याग्रह’ की शूटिंग के लिए आए हैं और इसके लिए वह दो माह तक आलीशान हैरिटेज होटल नूर-उस-सबा में रहेंगे।
कल उनके साथ पत्नी जया, अभिनेता पुत्र अभिषेक, अभिनेत्री बहू एश्वर्या और नन्ही पोती आराध्या भी इंदिरा भादुड़ी से मिलने आई तथा शाम छह बजे के आसपास इसी चार्टेड विमान से मुंबई वापस लौट गईं।
अपने ताजा ब्लाग में अमिताभ ने भोपाल के राजाभोज विमानतल के नए अंतर्राष्ट्रीय टर्मिनल के बारे में लिखा है, ‘‘इसमें सभी आधुनिक सुविधाओं का समावेश किया गया है, जिसे देखकर किसी ‘स्पेस क्राफ्ट’ जैसा आभास होता है’’।
उन्होने कहा कि जया से विवाह के बाद जब वह सन 1973 में पहली बार भोपाल आए थे, तब यह विमानतल एक अलग-थलग ‘काटेज’ की तरह था और उसकी हवाई पट्टी पर छोटा प्रोपेलर विमान ही उतर सकता था, और अब.., यह एक अंतर्राष्ट्रीय विमानतल की सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त है।
देश की अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के बाद हुई तरक्की की प्रशंसा करते हुए अमिताभ ने अपने इस ब्लाग में कहा है कि विमानतल, राष्ट्रीय राजमार्ग, होटलों और आवास की सुविधाएं सबने भारत को आंतरिक रूप से संवारा है। आज हमारा देश तरक्की की देहलीज पर खड़ा है। अर्थव्यवस्था उदारीकरण से पश्चिमी दुनिया से आया निवेश बुनियादी ढांचा खड़ा करने में बड़ा लाभकारी रहा है। देश के विकास के लिए इसके साथ ही कई अन्य कारक भी रहे हैं। उन्होंने ग्रामीण इलाकों में हो रही धीमी प्रगति का जिक्र करते हुए कहा है कि ग्रामीण भारत आज भी लड़खड़ा रहा है और उसे परेशान देखना निराशाजनक है। इसके ऐसे उदाहरणों का सामना ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के दौरान भी हुआ था।
अपने इस ब्लाग में अमिताभ ने कहा है कि नई पीढ़ी अब निर्णय ले रही है और युवा ही देश का मानस तैयार कर रहे हैं। संभवत: ये सभी आर्थिक उदारीकरण के बाद पैदा हुए हैं। हमने जिन परिस्थितियों का सामना किया है, उन्होने नहीं किया। वे अपने लक्ष्य तलाशने में अतिउत्साही और आक्रामक हैं। (एजेंसी)
First Published: Friday, February 15, 2013, 13:45