Last Updated: Tuesday, April 16, 2013, 10:40
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली: 1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट में आर्म्स एक्ट के तहत दोषी करार दिए गए बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त ने सुप्रीम कोर्ट से सरेंडर के लिए और समय मांगा है। संजय दत्त की अपील पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुना सकता है।
अभिनेता संजय दत्त ने सरेंडर के लिए निर्धारित समय सीमा पूरी होने से तीन दिन पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर कर इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए अधिक समय दिए जाने का अनुरोध किया है। शीर्ष अदालत ने 1993 के मुंबई दंगों से संबंधित मामले में गैर कानूनी तरीके से हथियार रखने के जुर्म में संजय दत्त को पांच साल की सजा सुनाई थी।
संजय दत्त ने इस अर्जी में न्यायालय से सरेंडर के लिये छह महीने का और वक्त देने का अनुरोध किया है ताकि वह जेल जाने से पहले अपनी अधूरी फिल्मों को पूरा कर सकें। संजय दत्त के अलावा मुंबई बम विस्फोट कांड के तीन अन्य दोषियों ने भी न्यायालय में याचिका दायर की हैं। इन मामलों में कल सुनवाई होगी।
शीर्ष अदालत ने 53 वर्षीय संजय दत्त को 18 अप्रैल तक सरेंडर करने का निर्देश दिया था। संजय ने इस अर्जी में न्यायालय से अनुरोध किया है कि उन्हें अधूरी फिल्में पूरी करने का अवसर दिया जाये जिन्हें पूरा करने में 196 दिन लगेंगे। उन्होंने कहा है कि उन्हें इसके बाद समर्पण करने की अनुमति दी जाए क्योंकि इन फिल्मों में निर्माताओं का बहुत अधिक धन लगा हुआ है। उच्चतम न्यायालय ने 21 मार्च को अपने फैसले में संजय दत्त की छह साल की सजा को घटाकर पांच साल करते हुये उन्हें चार सप्ताह के भीतर सरेंडर करने का निर्देश दिया था। इस मामले में संजय दत्त पहले ही 18 महीने जेल में बिता चुके है। न्यायालय ने मुंबई बम विस्फोट कांड से संबंधित मामले में संजय दत्त को दोषी ठहराने वाला टाडा अदालत का निर्णय बरकरार रखा था जिसके बारे में न्यायालय ने कहा था कि पाकिस्तानी आईएसआई के सहयोग से दाउद इब्राहिम और उसके गुर्गो ने इन विस्फोटों को अंजाम दिया था।
अभिनेता सुनील दत्त और अभिनेत्री नरगिस दत्त के पुत्र संजय दत्त को टाडा अदालत ने गैरकानूनी तरीके से नौ एमएम की पिस्तौल और एके-56 राइफल रखने के जुर्म में दोषी ठहराया था। ये हथियार मुंबई में बम विस्फोट करने और आतंक फैलाने के लिये लायी गयी खेप का हिस्सा थे। इन विस्फोट में 257 व्यक्ति मारे गए थे और सात सौ से अधिक जख्मी हुये थे। संजय दत्त के अलावा तीन अन्य दोषियों जैबुन्निसा अनवर काजी, इस्साक मोहम्मद हजवाने और शरीफ अब्दुल गफूर उर्फ दादाभाई ने भी समर्पण के लिए समय देने का अनुरोध करते हुए न्यायालय में याचिका दायर की है।
इनका कहना है कि राष्ट्रपति के समक्ष लंबित दया याचिकाओं का निबटारा होने तक उनकी सरेंडर करने की अवधि बढाई जाए। उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू ने 18 मार्च को जैबुन्निसा काजी की ओर से और 10 अप्रैल को दो अन्य दोषियों की ओर से राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की थी। न्यायालय ने 21 मार्च को सुनाए गए फैसले में 70 वर्षीय जैबुन्निसा काजी को पांच साल की सजा देने का टाडा अदालत का निर्णय बरकरार रखा था। इस मामले में 76 वर्षीय हजवाने को शीर्ष अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इसी तरह 88 वर्षीय पारकर की उम्र कैद भी शीर्ष अदालत ने बरकरार रखी थी। इन दोषियों ने अपनी याचिका में कहा है कि उनकी ओर से न्यायमूर्ति काटजू द्वारा पेश दया याचिका का निबटारा होने तक उन्हें सरेंडर के लिए नहीं कहा जाए।
First Published: Tuesday, April 16, 2013, 10:40