Last Updated: Monday, January 23, 2012, 09:42
जयपुर : जयपुर साहित्य समारोह में सलमान रशदी मामले को लेकर छाए तनाव और गंभीर मुद्दे पर बहस करने के लिए एकत्र लोगों के बीच जावेद अख्तर एवं गुलजार ने किस्सागोई की कला के बारे में चर्चा कर माहौल को हल्का कर दिया। उन्होंने अपनी कविताएं भी सुनाई।
समारोह का चौथा दिन एक काव्य नोट के साथ शुरू हुआ। श्रोताओं से खचाखच भरे आयोजन स्थल में देश के दोनों बेहतरीन कवि-गीतकार अख्तर और गुलजार ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। समारोह में प्रसून जोशी ने भी शिरकत की। गुलजार ने इस मौके पर अख्तर की दूसरी पुस्तक ‘लावा’ भी पेश की जो उनकी कुछ उत्कृष्ट कविताओं का संग्रह है।
अख्तर की इन पंक्तियों..‘मेरे मुखालिफ ने चाल चल दी है, और अब मेरी चाल के इंतजार में है’ को श्रोताओं ने खूब पसंद किया। दोनों लोगों ने किस्सागोई की कला के बारे में और समय के साथ इसमें आए बदलाव के बारे में भी चर्चा की।
अख्तर ने कहा कि भारतीय फिल्मों में किस्सागोई हल्की हो रही है और मैं नहीं कहता कि यह अच्छा है या बुरा। नैतिकता और आकांक्षाओं में बदलाव के साथ नायक की अवधारणा भी बदल रही है। जैसे कि बरसों पहले प्यार में जान कुर्बान करने वाला एक युवक उस पीढ़ी का नायक होता था लेकिन देवदास इस पीढ़ी के लिए नायक नहीं हो सकता।
वहीं, गुलजार ने कहा कि फिल्म की कहानी और उसे कहने के तरीके में हो सकता है बदलाव आया हो, लेकिन ‘क्लाईमैक्स’ ऐसी चीज है जो कहानी के लिए हमेशा ही अहम रहेगी। (एजेंसी)
First Published: Monday, January 23, 2012, 15:53