Last Updated: Saturday, February 23, 2013, 15:23
ज़ी न्यूज ब्यूरोनई दिल्ली: बॉलीवुड में दोस्ती पर कई फिल्में बनी है लेकिन हाल-फिलहाल में दोस्ती पर आधारित ऐसी कोई फिल्म नहीं आई जो मनोरंजन या फिर संवेदनशीलता की कसौटी पर खरी उतरती हो। `काई पो छे` दोस्ती और सपनों को पूरा करने के जज्बे की कहानी है जिसमें तीनों दोस्त एक दूसरे का साथ देते हैं। फिल्म की कहानी कभी आपको हंसाएगी तो कभी रुलाएगी। `काई पो चे` का नाम गुजराती भाषा में है। इस फिल्म की कहानी अहमदाबाद की दिखाई गई है इसलिए इसका नाम गुजराती में रखा गया है।
फिल्म की कहानी हर पल सच्चाई से रूबर कराती चलती है। फिल्म में नए पड़ाव आते हैं, कभी दोस्ती तो कभी सियासत और फिल्म नए रंग में आगे बढ़ती रहती है। इस फिल्म में आम इंसान का क्रिकेट, सिनेमा और सियासत को लेकर पागलपन भी देखने को मिलेगा। पूरी फिल्म हकीकत की उन तस्वीरों को बयां करती है जिसका ताना-बाना हमारे इसी समाज ने बुना है।
यह फिल्म चेतन भगत के उपन्यास ‘द थ्री मिस्टेक्स ऑफ माई लाइफ’ पर आधारित है। इसे अभिषेक कपूर ने निर्देशित किया है। अभिषेक इससे पहले ‘रॉक ऑन’ जैसी कामयाब फिल्म का निर्देशन कर बॉलीवुड में अपना सिक्का जमा चुके हैं। चेतन भगत के लिए यह फिल्म इस मायने में खास है क्योंकि उनका 8 वर्षीय बेटा ईशान भगत इस फिल्म से अपने अभिनय की पारी की शुरुआत कर रहा है।
जिगरी दोस्त ईशान, ओमी और गोविंद गुजरात के अहमदाबाद में रहते हैं। इन नौजवानों के कुछ सपने हैं जिसे वह पूरा करना चाहते हैं। गोविंद का सपना अपना कारोबार शुरू करने का है। अपने दोस्त ईशान और ओमी का क्रिकेट के प्रति जुनून को देखते हुए वह क्रिकेट से संबंधित चीजों और ट्रेनिंग देने का बिजनेस शुरू करते हैं। हालांकि तीनों के जीवन का लक्ष्य बिलकुल अलग है।
ईशान अली नाम के शानदार बल्लेबाज को ट्रेनिंग देकर आगे बढ़ाना चाहता है। ओमी को अपने दोस्तों का साथ पसंद है इसलिए वह उनके साथ है। लेकिन शहर में कुछ ऐसी घटनाएं घटती हैं कि समय और हालात के मुताबिक इनकी दोस्ती और जिंदगी में बदलाव आते हैं।
पहली बार अपनी फिल्मी पारी की शुरुआत कर रहे बिहार के निवासी सुशांत सिंह राजपूत ने फिल्म में शानदार परफॉर्मेंस दी है। अमित साध ने अपने किरदार ओमी को जीवंत बनाए रखा है। राजकुमार यादव ने भी इस फिल्म में अदाकारी कर यह साबित किया है कि वह किसी से कम नहीं है।
कुल मिलाकर काई पो छे फिल्म दिल को छू लेनेवाली ऐसी फिल्म है जो एक कसी हुई स्क्रिप्ट और बेहतरीन डायरेक्शन के संगम के बीच जिंदगी के उन तमाम हकीकत से रूबरू कराती है जिससे हम सभी अपनी जिंदगी में दो-चार होते रहते हैं। इस फिल्म को जरूर देखना चाहिए क्योंकि बॉलीवुड में ऐसी फिल्में अब कम और कभी-कभार ही बनती है। भावुक लोगों और जिंदगी की हकीकतों को बारीकियों से समझने वाले लोगों को यह फिल्म जरूर पसंद आएगी।
First Published: Friday, February 22, 2013, 15:09