Last Updated: Sunday, March 17, 2013, 15:05

नई दिल्ली : अगर आपको फोन पर बात करते समय साफ सुनाई न दे या अचानक कानों में सीटी की आवाज सुनाई दे तो उसे हल्के तौर पर न लें। यह कानों की बीमारी एकॉस्टिक न्यूरोमा के लक्षण हो सकते हैं और इसे नजरअंदाज करने का नतीजा बहरेपन के रूप में सामने आ सकता है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पूर्व निदेशक और ईएनटी विशेषज्ञ डॉ एस के कक्कड़ कहते हैं ‘एकॉस्टिक न्यूरोमा वास्तव में एक ट्यूमर होता है जिससे कैंसर तो नहीं होता लेकिन यह श्रवण क्षमता को क्षीण करते करते कई बार खत्म भी कर देता है। इसके और भी गंभीर नतीजे होते हैं। मुश्किल यह है कि इसके लक्षण इतने धीरे धीरे उभरते हैं कि बीमारी का समय पर पता ही नहीं चल पाता।’
एम्स के ही पूर्व ईएनटी विशेषज्ञ डॉ बी एम अबरोल ने बताया ‘हमारे मस्तिष्क से निकल कर आठवीं क्रेनियल तंत्रिका कान के अंदरूनी हिस्से तक जाती है। आठवीं और सातवीं क्रेनियल तंत्रिका एक दूसरे से सटी होती हैं। आठवीं क्रेनियल तंत्रिका पर बनने वाला ट्यूमर ही एकॉस्टिक न्यूरोमा कहलाता है। यह आठवीं क्रेनियल नर्व की शाखा वेस्टीबुलर तक भी पहुंच जाता है जिसकी वजह से इसे वेस्टिबुलर श्वेनोमा भी कहते हैं।’ मेदान्ता मेडिसिटी के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ के के हांडा ने बताया ‘इस ट्यूमर के विकसित होने में कई बार बरसों लग जाते हैं। इसकी वजह से सुनने की क्षमता प्रभावित होती है।’
डॉ हांडा ने कहा ‘इसमें फोन पर या नियमित बातचीत सुनाई नहीं देती। कभी कभी अचानक कान में सीटी बजती महसूस होती है। अक्सर लोग इन लक्षणों को गंभीरता से नहीं लेते लेकिन यही एकॉस्टिक न्यूरोमा की शुरूआत होती है। अगर शुरू में इस समस्या का पता चल जाए तो इसका इलाज आसानी से हो सकता है। लेकिन बाद में गंभीर समस्या हो जाती है।’ डॉ अबरोल ने बताया ‘कुछ मरीजों में यह समस्या तेजी से बढ़ती है। एकॉस्टिक न्यूरोमा की वजह से ऐसा लगता है जैसे चक्कर आ रहे हों या चलते समय अचानक कदम लड़खड़ा रहे हों। अगर एकॉस्टिक न्यूरोमा बहुत बढ़ जाए तो इसके फलस्वरूप चेहरे पर लकवा भी हो सकता है। चूंकि यह आठवीं क्रेनियल तंत्रिका में होता है तो अपने आसपास की उन अन्य क्रेनियल तंत्रिकाओं और रक्त वाहिनियों को भी यह प्रभावित करता है जो मस्तिष्क को रक्त पहुंचाती हैं या मस्तिष्क तक जाती हैं। ’
उन्होंने बताया कि सातवीं क्रेनियल तंत्रिका का संबंध चेहरे की मांसपेशियों से होता है। यह तंत्रिका अगर एकॉस्टिक न्यूरोमा के ट्यूमर से प्रभावित हो जाए तो फेशियल पैरालिसिस या फेशियल पाल्सी जैसी समस्या हो सकती है। इससे मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो सकती हैं, आंसू और नाक में एक द्रव का लगातार उत्पादन होता है और जीभ की स्वाद ग्रंथियां भी प्रभावित हो जाती हैं। डॉ अबरोल के अनुसार, पांचवी क्रेनियल नर्व अगर एकॉस्टिक न्यूरोमा से प्रभावित हो जाए तो चेहरे की मांसपेशियों में तीव्र दर्द होता है और यह समस्या ‘ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया’ कहलाती है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, March 17, 2013, 15:05