Last Updated: Friday, August 19, 2011, 06:26

वैसी मच्छरदानियां अब बेकार साबित होने लगी हैं जिनमें ज़हरीली दवाओं का लेप लगा होता है क्योंकि मच्छरों में ऐसी दवाओं की प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई है. वैज्ञानिकों की मानें तो पहले मच्छर काटने से लोगों में प्राकृतिक रूप से मलेरिया प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती थी, लेकिन जब से इन मच्छरदानियों का इस्तेमाल किया जाने लगा है तब से बच्चों और बुज़ुर्गों में ये क्षमता कम हुई है.
इससे पहले दवाओं के लेप वाली मच्छरदानियों का अफ़्रीक़ी देशों में सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया जाता रहा है. लेकिन अब नए शोध से पता चला है कि मच्छरों पर इस दवाओं का असर नहीं होता और साथ ही ऐसी मच्छरदानियाँ बच्चों में रोग प्रतिरोधक शक्ति को भी कम कर देती हैं.
अफ्रीका के सेनेगल क्षेत्र में किए गए एक शोध से ये बातें सामने आयी हैं. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि अगर इस मच्छरदानियों का इस्तेमाल ठीक ढंग से किया जाए तो मलेरिया के मामलों में पचास फ़ीसदी की कमी आ सकती है.
लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का यह मत भी है कि इस शोध का दायरा काफ़ी सीमित रहा है इसलिए अभी दूरगामी नतीजे नहीं निकाले जा सकते. शोधकर्ताओं ने सेनेगल के एक छोटे से गांव में ऐसी मच्छरदानियां बांटे जाने से पहले और बाद हुए मलेरिया के मामलों का अध्ययन किया. इसमे पाया गया कि मच्छरदानियों के इस्तेमाल के बाद पहले तीन हफ़्तों तक मलेरिया से बीमार होने वाले लोगों की संख्या में कमी आयी.
बाद मे पाया गया कि 2007 से 2010 के बीच इन मच्छरों में मच्छरदानियों के लेप में काम आने वाली ज़हरीली दवाओं को पचाने की शक्ति में आठ प्रतिशत से बढ़कर 48 प्रतिशत हो गई.
इस क्षेत्र में लगभग 60 लाख मच्छरदानियां बांटी गई थी.
First Published: Friday, August 19, 2011, 12:04