धूम्रपान से तीसरी पीढ़ी में अस्थमा का खतरा

धूम्रपान से तीसरी पीढ़ी में अस्थमा का खतरा

धूम्रपान से तीसरी पीढ़ी में अस्थमा का खतरा वाशिंगटन: अब तक हम यह जानते थे कि धूम्रपान का असर केवल इसे करने वाले लोगों और उनके बच्चों पर पड़ता है, लेकिन हाल ही में हुए एक नए अनुसंधान से पता चला है कि धूम्रपान तीसरी पीढ़ी को भी अस्थमा का मरीज बना सकता है। अस्थमा एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। यह बचपन में होने वाली पुरानी बीमारी है। हालांकि गर्भावस्था में धूम्रपान जैसे बहुत से कारण हैं, जो अस्थमा को बढ़ावा देते हैं। इन सभी कारणों को टाला जा सकता है।

गर्भावस्था के दौरान निकोटिन पेट में बन रहे भ्रूण के फेफड़ों को प्रभावित कर सकता है, जिसके कारण शिशु बचपन से ही अस्थमा का शिकार हो जाता है।

कैलीफोर्निया स्थित हार्बर-यूसीएलए मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने चूहों पर गर्भावस्था के दौरान निकोटिन के प्रभावों का परीक्षण किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि निकोटिन ने न सिर्फ उसके बच्चों को प्रभावित किया बल्कि दूसरी पीढ़ी के बच्चों पर भी इसका प्रभाव देखा गया।

यूसीएलए के बयान के अनुसार पहली पीढ़ी अपने जन्म के समय निकोटिन के सम्पर्क में नहीं आई थी, लेकिन इसके बावजूद निकोटिन ने उनकी संतानों के फेफड़ों की कार्य क्षमता को कमजोर कर दिया। (एजेंसी)

First Published: Thursday, November 1, 2012, 08:44

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