Last Updated: Wednesday, March 13, 2013, 09:00

नई दिल्ली : विशेषज्ञों का कहना है कि नींद की अवधि में भारी बदलाव के कारण लोगों (विशेष तौर पर युवा वर्ग) में मधुमेह, उच्च रक्त चाप, दिल से संबंधित रोग एवं मोटापा जैसी कई बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं और इसपर ध्यान नहीं दिये जाने के परिणाम घातक भी हो सकते हैं।
जानकारों के मुताबिक सूचना प्रौद्योगिकी के इस दौर में लोगों के नियमित जीवन में बड़ा बदलाव आया है और इससे सोने की आदतों पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
जीवनशैली में आये बदलाव के कारण लोगों में नींद पूरी नहीं होने की शिकायतें सबसे आम हैं। सबसे ज्यादा प्रभाव उन लोगों पर पड़ता है जो शिफ्ट में काम करते हैं। इसलिये जरूरी है कि हम अपने काम के हिसाब से शरीर के लिये भी एक रूटीन बनायें ताकि पर्याप्त आराम मिल सके।
डॉक्टरों के मुताबिक शरीर को शिफ्ट ड्यूटी के अनुरूप ढालने के लिये अलग-अलग शिफ्टों के बीच कम से कम 72 घंटे का वक्त चाहिये होता है और ऐसा नहीं होने पर शरीर की जैविक घड़ी असंतुलित हो जाती है। इसे नियमित करने के लिये आहार, व्यायाम और अन्य कई बातों पर विशेष ध्यान देना होता है। इन बातों को चिकित्सकों से मिल कर जाना जा सकता है।
मौजूदा दौर में लोगों में नींद से संबंधित बीमारी ‘स्लीप ऐपनिया’ काफी बढ़ रही है और इसकी सबसे बड़ी वजह दिनचर्या का नियमित नहीं हो पाना है । जानकारों के मुताबिक जितना संभव हो सके खाने-पीने और सोने की आदतों को नियमित करें और चिकित्सकीय सलाह भी लेते रहना चाहिए।
जीवनशैली में बदलाव के कारण नींद में कमी की समस्या आज के युवा वर्ग में एक आम समस्या बन चुकी है, लेकिन लोग शुरुआत में इसे नजरअंदाज करते हैं। बाद में समस्या बढ़ने पर इससे मोटापा, उच्च रक्तचाप जैसी कई अन्य समस्याएं होने लगती हैं। नियमित व्ययाम, पोषक एवं नियंत्रित आहार और उचित वक्त पर चिकित्सकों से मिल कर इस समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
नींद की कमी से होने वाली सबसे आम समस्या स्लीप एपनिया है जिसमें नींद के दौरान सांस में रुकावट पैदा होती है और कई बार यह घातक भी हो सकती है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, March 13, 2013, 09:00