Last Updated: Tuesday, March 26, 2013, 08:33

लंदन: पार्किंसन रोग की एक प्रचलित दवा बुजुर्गो की निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष किया है। वेलकम ट्रस्ट सेंटर फॉर न्यूरोइमेजिंग के शोधकर्ताओं का अध्ययन पत्रिका `नेचर न्यूरोसाइंस` में प्रकाशित हुआ है। इसमें 70 साल के वृद्धों के मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में होने वाले बदलाव का भी जिक्र किया गया है। इस शोध से पता चलता है कि कई बुजुर्ग आखिर क्यों युवाओं के मुकाबले निर्णय लेने में फिसड्डी साबित होते हैं।
समाचार पत्र `साइंस डेली` के मुताबिक, हम दिमाग में जो विकल्प बनाते हैं उससे एक नतीजा हासिल करने की संभावना बनती है। निर्णय प्रकिया में इस संभावना का पूर्वानुमान लगाना सीखना भी शामिल है।
यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन के वेलकम ट्रस्ट फॉर न्यूरोइमेजिंग के अध्ययन दल का नेतृत्व करने वाली डॉ. रूमाना चौधरी ने कहा, "हम जानते हैं कि उम्र में वृद्धि के साथ डोपामाइन में गिरावट होती जाती है। इसलिए हम जानना चाहते है कि नतीजा आधारित निणर्य पर इसका कैसा प्रभाव पड़ता है।"
उन्होंने कहा कि हमने दिमाग में डोपामाइन (निर्णय लेने की क्षमता) बढ़ाने वाली दवा से ऐसे बुजुर्गो का इलाज किया जो निर्णय लेने में फिसड्डी थे। हमने पाया कि निर्णय लेना सीखने की उनकी क्षमता बीस वर्ष के युवाओं के समतुल्य हो गई। इस दवा ने बुजुर्गो को बेहतर निर्णय लेने के लिए काबिल बनाया।
अध्ययन ने पाया कि इलाज से पहले जिन बुजुर्गो ने जुआ के खेल में बेहतर प्रदर्शन किया, उन्होंने निर्णय लेने की अपनी क्षमता का भी अच्छा प्रदर्शन किया। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, March 26, 2013, 08:33