Last Updated: Wednesday, April 18, 2012, 16:19

लंदन : यदि आपके शरीर में डेल-1 प्रोटीन का स्तर कम हो रहा है तो इसकी वजह से आपको बुढ़ापे में मसूड़ों से सम्बंधित बीमारियां हो सकती हैं। एक नए शोध में यह खुलासा हुआ है। पेरियोडोन्टाइटिस मसूड़ों की एक बीमारी है, जिसमें मसूड़ों से खून निकलता है और दांतों के आसपास की हड्डियां कमजोर होती हैं। इससे दांतों को नुकसान पहुंचता है। इस बीमारी में मुंह के कीटाणुओं के प्रति प्रतिरोधक तंत्र अतिसक्रिय हो जाता है। उम्र बढ़ने के साथ लोगों के इस बीमारी से ग्रस्त होने का खतरा बढ़ता जाता है।
'नेचर इम्युनोलॉजी' जर्नल के मुताबिक लंदन के क्वीन मैरी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि डेल-1 के सम्बंध में समझ बढ़ाकर और प्रतिरोधक तंत्र पर इसके प्रभाव के अध्ययन से मसूड़ों की बीमारियों की रोकथाम या इलाज में मदद मिल सकती है। क्वीन मैरी में माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर व अध्ययनकर्ता माइक कर्टिस कहते हैं, पेरियोडोन्टाइटिस एक बहुत सामान्य परेशानी है और हम जानते हैं कि उम्र बढ़ने के साथ यह बीमारी और भी आम हो जाती है।
क्वीन मैरी ने एक वक्तव्य जारी कर कहा कि यह शोध इस बात पर प्रकाश डालता है कि उम्र बढ़ने के साथ इस बीमारी का खतरा क्यों बढ़ जाता है। इस बीमारी के इलाज में यह एक पहला कदम है। इस शोध में कम उम्र के व बूढ़े चूहों के मसूड़ों पर शोध किया गया और देखा गया कि उम्र बढ़ने के साथ बीमारी का खतरा बढ़ गया और इसकी वजह डेल-1 का स्तर कम होना था। इस प्रोटीन को प्रतिरोधक तंत्र की क्रियाएं रोकने के लिए जाना जाता है। यह प्रोटीन रोग प्रतिरोधक क्षमता में अहम भूमिका निभाने वाली श्वेत रक्त कोशिकाओं को मुंह के ऊतकों से चिपकने व उन पर हमला करने से रोकता है।
जिन चूहों में डेल-1 नहीं था, उनमें मसूड़ों की बहुत सी बीमारियां देखी गईं और उनमें हड्डियों का नुकसान भी हुआ। शोधकर्ताओं ने इन चूहों के मसूड़ों के ऊतकों में श्वेत रक्त कोशिकाओं की बहुत अधिक संख्या देखी। जब चूहों को डेल-1 प्रोटीन दिया गया तो श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या कम हुई और साथ ही मसूड़ों की बीमारी व हड्डियों का नुकसान भी कम हुआ।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, April 18, 2012, 21:49