Last Updated: Sunday, July 28, 2013, 20:24

कोलकाता : विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर विशेषज्ञों का कहना है कि इस बीमारी से मौत की सबसे बड़ी वजह उसका देर से पता चलना है।
नई दिल्ली स्थित सर गंगा राम अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेप्टोलॉजी के प्रमुख डॉक्टर अनिल अरोड़ा ने एक बयान में कहा, ‘हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी जैसी बीमारियों दशकों तक आपके शरीर में मौजूद रहती हैं और उनके लक्षण नजर नहीं आते। जानकारी के अभाव में हेपेटाइटिस सी के 80 प्रतिशत और हेपेटाइटिस बी के 60 प्रतिशत मरीजों में बीमारी का पता ऐसे चरण में लगता है जब उनका इलाज संभव नहीं है।’
उनका कहना है कि इस संक्रमण को फैलाने में एक्यूपंक्चर और टैटू बनाने में अस्वच्छ सूईयों के उपयोग बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है इसके अलावा शराब पीने वालों में हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी होने की आशंका दो से तीन गुना ज्यादा होती है।
डॉक्टर ने कहा, ‘मैं देख रहा हूं कि ज्यादातर युवा हेपेटाइटिस के संक्रमण के शिकार हो रहे हैं। यदि किसी में पीलिया, लगातार थकान, पूरे शरीर में खुजली, बुखार और पेट में दर्द जैसे लक्षण उभर रहे हों तो उसे तुरंत हेपेटाइटिस की जांच करानी चाहिए ताकि उसका सही समय पर पहचान और इलाज किया जा सके।’
कोलकाता के मेडिका सुपर-स्पेशियालिटी अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के वरिष्ठ डॉक्टर डॉक्टर पी. के. सेठी ने कहा कि हेपेटाइटिस बी और सी के शिकार ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं है कि वे संक्रमण के शिकार हैं। (एजेंसी)
First Published: Sunday, July 28, 2013, 20:24