Last Updated: Wednesday, March 7, 2012, 14:47

नई दिल्ली : रंगों और गुलाल के साथ होली खेलते समय सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को होली खेलते समय सुरक्षा को नजरंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि जहरीले रासायनिक रंगों से त्वचा संक्रमण, आंखों को नुकसान जैसी अन्य कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इस साल रंगों का त्योहार होली आठ मार्च को मनाया जा रहा है।
एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में डरमैटोलॉजिस्ट अमित बांगिया ने आईएएनएस से कहा, होली के दौरान रासायनिक रंगों के इस्तेमाल से जलन, डरमैटाइटिस, त्वचा की लालिमा और कुछ मामलों में फफोले पड़ने जैसी समस्या हो सकती है। इससे त्वचा पर स्थायी तौर पर दाग भी पड़ सकते हैं।
बांगिया ने कहा, कुछ जल रंगों में क्षारीय प्रकृति वाली सामग्री मिलायी जाती है, जिससे अस्थायी अंधता की स्थिति पैदा हो सकती है। गाढे युक्त रंग में कभी कभी जहरीले पदार्थ होते हैं, जिसमें इंजन में उपयोग होने वाले तेल या अन्य निम्नस्तरीय तेल की मिलावट होती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि रासायनिक रंगों का काफी इस्तेमाल होता रहा है, क्योंकि यह सस्ता तथा सुलभ होता है। लेकिन लोग इसके नुकसान से वाकिफ नहीं होते हैं। इसकी तुलना में प्राकृतिक रंग को बनाना कठिन नहीं है।
बांगिया ने कहा, हल्दी का उपयोग पीले रंग के लिए किया जा सकता है। मेहंदी का उपयोग हरे रंग के लिए और गुलाब की सूखी पंखुड़ियों का उपयोग लाल रंग की जगह किया जा सकता है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, March 7, 2012, 20:21