Last Updated: Saturday, May 31, 2014, 19:08
नई दिल्ली : रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर आर. गांधी ने बैंकों के पुराने फंसे कर्ज पर चिंता जाहिर करते हुए आज कहा कि बैंकों को कर्ज देने की अपनी आंतरिक आंकलन प्रणाली को मजबूत बनाना चाहिए ताकि कर्ज के फंसने का जोखिम कम से कम हो।
उन्होंने कहा, ‘मार्च 2014 को बैंकों के फंसे कर्ज यानी गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के आंकड़े अभी पता नहीं हैं। देश और दुनिया में जो आर्थिक हालात हैं उसमें कुछ लोग यह मान सकते हैं कि एनपीए अनुपात तर्कसंगत है। दिसंबर 2013 की स्थिति के अनुसार बैंकिंग प्रणाली में (पुनर्गठित मानक परिसंपत्ति) सहित बैंकों की कुल गैर-निष्पादित राशि उनके कुल अग्रिम का 10.13 प्रतिशत रही थी, जो कि रिजर्व बैंक के लिये चिंता का विषय है।’
हालांकि, उन्होंने कहा कि शुरूआती संकेतों के मुताबिक चौथी तिमाही का आंकड़ा तीसरी तिमाही के मुकाबले बेहतर रहने की उम्मीद है। गांधी ने यहां ऐसोचैम द्वारा आयोजित एक समारोह में कहा कि सकल ऋण के मुकाबले एनपीए या घरेलू बैंकिंग प्रणाली का फंसा कर्ज 4.4 प्रतिशत था।
बैंकों का कर्ज जोखिम कम करने के लिए उन्होंने कहा, ‘बैंकों को अपनी आंतरिक ऋण समीक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा बैंकों को अपने आकलन के साथ वाह्य ऋण समीक्षा के उपयोग पर भी विचार करना चाहिए। गांधी ने कहा, ‘इसका मतलब होगा बैंकों को विशेषकर इस मामले में अपनी स्थिति ठीक करने के लिए बैंकों को स्थिति मजबूत करनी होगी। बैंकों के समक्ष अभी भी दूसरे जोखिम हो सकते हैं जैसे आर्थिक मंदी, अथवा नीतिगत बदलाव या फिर जान बूझकर कर्ज नहीं चुकाना, लेकिन बैंकों को चिंता का कारण बने इस क्षेत्र में अपनी स्थिति ठीक करनी चाहिए।’
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए सितंबर 2013 की समाप्ति पर बढ़कर 2.03 लाख करोड़ रुपये हो गया। इससे पहले 31 मार्च 2013 को यह 1.55 लाख करोड़ रुपये पर था। (एजेंसी)
First Published: Saturday, May 31, 2014, 19:08