Last Updated: Tuesday, November 26, 2013, 20:21
नई दिल्ली : तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) ने चेताया है कि उस पर ईंधन सब्सिडी का बोझ बेतहाशा बढ़ रहा है जिससे उसकी उत्पादन वृद्धि व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल-गैस संपत्तियों के अधिग्रहणों की योजना पर ‘गंभीर खतरा’ पैदा हो गया है।
मिट्टी तेल, डीजल सहित विभिन्न पेट्रोलियम पदार्थों की बिक्री करने वाली कंपनियों को लागत से कम मूल्य पर ईंधन की बिक्री से होने वाले नुकसान की आंशिक भरपाई ओएनजीसी व ऑयल इंडिया जैसी तेल व गैस उत्पादक कंपनियों को करनी होती है। ये कंपनियां विपणन कंपनियों को बेचे जाने वाले कच्चे तेल पर छूट के रूप में सब्सिडी भरपाई में योगदान करतीं हैं।
पेट्रोलियम मंत्रालय को लिखे पत्र में ओएनजीसी ने कहा है कि सब्सिडी छूट के बाद प्राप्त होने वाला शुद्ध मूल्य लगातार घट रहा है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ओएनजीसी को 40 डॉलर प्रति बैरल की उत्पादन लागत के मुकाबले शुद्ध प्राप्ति 40.17 डॉलर प्रति बैरल हुई है। पत्र में कंपनी ने कहा है कि 2011-12 में उसकी शुद्ध प्राप्ति 54.72 डॉलर प्रति बैरल थी, जो 2012-13 में घटकर 47.85 डॉलर प्रति बैरल रह गई। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह और घटकर 40.17 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई।
ओएनजीसी ने कहा है कि 2004 के बाद से अब तक वह 2,18,336 करोड़ रुपए पेट्रोलियम पदार्थों की सब्सिडी में दे चुकी है। यदि यह नहीं होता तो कंपनी का मुनाफा 1,25,477 करोड़ रुपये अधिक होता। इतनी राशि उसके लिये एक करोड से डेढ़ करोड़ टन तेल सालाना तेल उत्पादन करने वाली परिसंपत्तियां खरीदने के लिये काफी होती। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 26, 2013, 20:21