Last Updated: Thursday, April 17, 2014, 15:11
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने एक अहम फैसले में व्यवस्था दी कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) निजी दूरसंचार कंपनियों के राजस्व का ऑडिट कर सकता है। कोर्ट ने कहा कि निजी टेलिकॉम कंपनियां अपने राजस्व का ऑडिट सीएजी से कराने के लिए बाध्य हैं।
न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन की खंडपीठ ने इस संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए एसोसिएशन ऑफ यूनीफाइड टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर लिमिटेड एवं अन्य की अपील खारिज कर दी।
खंडपीठ की ओर से न्यायमूर्ति राधाकृष्णन ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सीएजी को निजी दूरसंचार कंपनियों के राजस्व के ऑडिट का अधिकार उपलब्ध है। दूरसंचार कंपनियों और सेलुलर ऑपरेटर संघ ने हाईकोर्ट के गत छह जनवरी के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।
हाईकोर्ट ने सीएजी को निजी दूरसंचार कंपनियों की राजस्व प्राप्तियों की ऑडिट की अनुमति प्रदान की थी ताकि यह पता चल सके कि कहीं इन कंपनियों ने कम लाइसेंस फीस देने के लिए अपनी राजस्व प्राप्तियां कम तो नहीं दिखाई थी।
केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में अपनी दलील में कहा था कि सार्वजनिक निजी भागदारी (पीपीपी) उपक्रमों में लाइसेंसिंग समझौतों के अनुरूप निजी कंपनियों को प्राप्त राजस्व का एक हिस्सा लाइसेंस फीस के तौर पर सरकार को देना होता है। हालांकि दूरसंचार कंपनियों ने इसका कड़ा विरोध किया था। (एजेंसी)
First Published: Thursday, April 17, 2014, 15:11