Last Updated: Tuesday, May 13, 2014, 17:29

नई दिल्ली : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) शशि कांत शर्मा ने मंगलवार को कहा कि कैग ऐसे मामलों में निजी कंपनियों तथा निजी सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) वाली परियोजनाओं की ऑडिट करता रहेगा जिनमें सरकार के साथ राजस्व हिस्सेदारी का समझौता किया गया हो।
शर्मा यहां कारपोरेट धोखाधड़ी पर एक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, `दूरसंचार ऑडिट पर काम पहले से ही चल रहा है और मुझे उम्मीद है कि हमारी पहली रपट इस साल के आखिर तक तैयार हो जाएगी। गैस व तेल उत्खनन पर एक रपट शीघ्र ही संसद में पेश की जाएगी। हम कुछ मौजूदा पीपीपी परियोजनाओं की निष्पादित ऑडिट शीघ्र ही करेंगे।`
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कैग की ऑडिट से निवेशक निरूत्साहित नहीं होंगे। शर्मा ने कहा, `किसी भी परिपक्व बाजार अर्थव्यवस्था में, जहां गड़बड़ी व हेरफेर की कोई गुंजाइश नहीं हो, वहां यदि कंपनियां को कुछ छुपाना नहीं है तो उन्हें इस तरह की ऑडिट से नहीं डरना चाहिए।` कमीशनखोरी पर आधारित पूंजीवाद के बारे में उन्होंने कहा, `यह सिर्फ अनुचित नहीं है बल्कि दीर्घकालिक वृद्धि के लिए भी खराब है। इस तरह के माहौल में संसाधनों का गलत आवंटन होता है, प्रतिस्पर्धा नहीं रहती।`
कमीशनखोरी वाले पूंजीवाद से आशय ऐसी व्यवस्था से है जहां राजनीतिक साठगांठ से निजी सम्पत्ति बढाने का धंधा चलता हो जिसमें कोई सार्वजनिक हित जुड़ा नहीं होता। शर्मा ने कहा, `सभी उदीयमान अर्थव्यवस्थाओं में अनेक कारपोरेट दिग्गजों पर आज (कमीशनखोरी) के जरिए धन कमाने का आरोप है। वे सम्पति बनाने के बजाया उसमें अपना बड़ा हिस्सा चाहते हैं।` शर्मा ने कहा कि जिन उद्योगों में इस तरह की गड़बड़ी की आशंका है उनमें बैंकिंग, खनन, दूरसंचार स्पेक्ट्रम, तेल एवं गैस तथा सार्वजनिक बुनियादी ढांचा शामिल है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, May 13, 2014, 17:29