Last Updated: Thursday, April 3, 2014, 15:32

नई दिल्ली : सहारा समूह ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह चार मार्च से जेल में बंद अपने मुखिया सुब्रत राय और दो निदेशकों की जमानत के लिये दस हजार करोड़ रूपए का तत्काल भुगतान करने में असमर्थ है।
न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ की पीठ के समक्ष सहारा समूह ने कहा कि वह 2,500 करोड़ रूपए का तत्काल और शेष 2,500 करोड़ रूपए का नकद भुगतान, राय तथा दो निदेशक रवि शंकर दुबे और अशोक राय चौधरी की जेल से रिहाई के बाद तीन सप्ताह के भीतर कर सकता है। शीर्ष अदालत ने इससे पहले यह शर्त लगायी थी कि यदि राय दस हजार करोड़ रूपए में से पांच हजार करोड़ रूपए की बैंक गारंटी और शेष पांच हजार करोड़ रूपए नकद भुगतान करें तो उन्हें जमानत पर छोड़ा जा सकता है।
साथ ही न्यायालय ने सहारा से कहा था कि वह अपना प्रस्ताव रजिस्ट्री में दाखिल करे और फिर उस पर विचार किया जायेगा। निवेशकों का बीस हजार करोड़ रूपए सेबी के पास जमा कराने के शीर्ष अदालत के आदेश का पालन नहीं करने के कारण राय और सहारा समूह के दो अन्य निदेशक चार मार्च से न्यायिक हिरासत में हैं।
सुब्रत राय ने इससे पहले न्यायालय में दलील दी थी कि निवेशकों का बीस हजार करोड़ रूपए सेबी के पास जमा नहीं कराने के कारण उन्हें हिरासत में लेने का आदेश गैरकानूनी और असंवैधानिक है। उन्होंने इस आदेश को निरस्त करने का अनुरोध न्यायालय से किया था। (एजेंसी)
First Published: Thursday, April 3, 2014, 10:56