Last Updated: Tuesday, December 24, 2013, 16:37
नई दिल्ली : निर्माण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों में ढील देने के प्रस्ताव पर मतभेदों को दूर करने के लिए वित्त, वाणिज्य और शहरी विकास मंत्रियों की जल्द ही एक बैठक होगी। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने कहा ‘‘निर्माण क्षेत्र में एफडीआई पर (मंत्रिमंडल की बैठक में) विचार विमर्श किया गया। तीन मंत्रियों की बैठक होगी, मैं, वित्त मंत्री (पी. चिदंबरम) और शहरी विकास मंत्री कमलनाथ। मंत्रिमंडल ने भी यही कहा है, निर्णय जल्द ही लिया जायेगा।’’ शर्मा ने कहा कि इस पहल से निर्माण और जमीन जायदाद क्षेत्र में अधिक विदेशी निवेश आकषिर्त किया जा सकेगा।
पिछले महीने, निर्माण एवं भूसंपत्ति कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों में ढील देने के औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग के प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल में विचार विमर्श किया गया लेकिन शहरी विकास मंत्रालय द्वारा कुछ नियमों पर चिंता व्यक्त किये जाने के बाद फैसला आगे के लिये टाल दिया गया।
औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) निर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेशकों के लिये नियमों को सरल बनाने के पक्ष में है। विदेशी निवेशकों को निवेश पर तीन साल की बंधक अवधि से पहले ही बाहर निकलने की अनुमति दिये जाने और न्यूनतम निर्मित क्षेत्र की शर्त को 50,000 वर्गमीटर से कम कर 20,000 वर्गमीटर करने का प्रस्ताव किया है। पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई और भारतीय भागीदार के लिये संयुक्त उद्यम इकाई दोनों के मामले में न्यूनतम पूंजी समान रूप से 50 लाख डालर रखने का सुझाव दिया है। वर्तमान में यह राशि एक करोड़ डालर है।
कैबिनेट नोट में आगे कहा गया है कि डेवलपर्स निर्माण की गई संपत्ति में खरीदारी पूरी होने के बाद उससे बाहर निकल सकते हैं। इसके अलावा सक्षम प्राधिकरण द्वारा निर्माण पूरा होने का प्रमाणपत्र मिल जाने या फिर परियोजना को दूसरे प्रवासी भारतीय निवेशक को बेच दिये जाने पर परियोजना से निकला जा सकता, लेकिन इसमें तीन साल की बंधक अवधि बरकरार रहेगी।
हालांकि, इसमें यह भी कहा गया है कि एक विदेशी निवेशक से दूसरे को संपत्ति का हस्तांतरण केवल एक बार ही मान्य होगा और इसमें बंधक अवधि में कोई छूट नहीं होगी। देश में अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2013 के बीच निर्माण कार्यों, शहरी परियोजनाओं के विकास, आवास और ढांचागत निर्माण में 22.76 अरब डालर का विदेशी निवेश आया। यह राशि इस दौरान देश में आये कुल विदेशी निवेश का 11 प्रतिशत रही। डीआईपीपी के प्रेस नोट 2 (2005) में शहरी योजनाओं में शतोर्ं के साथ 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, December 24, 2013, 16:37