Last Updated: Sunday, February 23, 2014, 13:16
नई दिल्ली : एक उच्च स्तरीय समिति ने कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) द्वारा ई-नीलामी को `गड़बड़ी का जरिया` करार देते हुए कंपनी की इस पहल पर सवाल उठाया है। समिति ने पूछा है कि जब देश इर्ंधन कमी से जूझ रहा था और इस प्रणाली का फायदा केवल `बड़े कारोबारियों` को हुआ तो कंपनी ने इसे क्यों अपनाया।
कोयला तथा इस्पात पर स्थायी समिति ने अपनी नवीनतम रपट में यह बात कही है। इसके अनुसार, `कंपनी को हैरानी है कि देश में कोयले की कमी के बावजूद कोल इंडिया इंडिया ने क्या सोचकर ई-नीलामी को अपनाया। ई-नीलामी की प्रक्रिया से हालांकि सीआईएल के लिए अच्छा राजस्व जुटा लेकिन यह गड़बड़ी का भी बड़ा उपकरण (टूल) है। कल्याण बनर्जी की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रपट हाल ही में संसद को सौंपी। इसमें सलाह दी गई है कि इस प्रणाली की शीघ्र जांच हो तथा एक अधिक पारदर्शी नियामकीय व निगरानी प्रणाली अमल में लाई जाए।
उल्लेखनीय है कि कुल घरेलू उत्पादन का 80 प्रतिशत इस कंपनी से आता है। कंपनी अपने लगभग 10 प्रतिशत कोयले को ई नीलामी के जरिए बेचती है। समिति ने कहा है- सीआईएल की ई नीलामी से वास्तविक उपयोक्ताओं (एंड यूजर) को भागीदारी का उचित मौका नहीं मिलता और इसका फायदा केवल बड़े कारोबारियों और प्रभावी पक्षों को होता है। इसके अनुसार बड़े कारोबार गुट बनाकर ई-नीलामी में तुलनात्मक रूप से सस्ती दरों पर कोयला खरीद सकते हैं और छोटे उद्योगों को ऊंची दरों पर खरीद को मजबूत कर सकते हैं।
समिति ने कोयला मंत्रालय तथा सीआईएल से कहा है कि वह बड़े कारोबारियों के एकाधिकार पर लगाम लगाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छोटे कारोबारियों व वास्तविक उपयोक्ताओं (एंड यूजर) को नुकसान नहीं हो। (एजेंसी)
First Published: Sunday, February 23, 2014, 13:16