कोलगेट: एसोचैम ने पीएम को लिखा खत, उद्योगपतियों के खिलाफ CBI कारवाई पर जताई चिंता

कोलगेट: एसोचैम ने पीएम को लिखा खत, उद्योगपतियों के खिलाफ CBI कारवाई पर जताई चिंता

कोलगेट: एसोचैम ने पीएम को लिखा खत, उद्योगपतियों के खिलाफ CBI कारवाई पर जताई चिंतानई दिल्ली : कोयला आवंटन घोटाले से जुड़े मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई द्वारा जाने माने उद्योगपति कुमार मंगलम् बिड़ला को नामजद किए जाने से चिंतित वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मामले में हस्तक्षेप करके अविश्वास का वातावरण दूर करने का आग्रह किया है।

एसोचैम ने कहा है कि उद्योगपतियों के खिलाफ आधी अधूरी जानकारी के आधार पर मामले दर्ज करने से यह ‘अविश्वास का माहौल’ बना है। उद्योग मंडल ने कहा है कि इस तरह के माहौल से निवेश निर्णय लेने में और विलंब होगा जिसका अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में एसोचैम ने कहा है ‘हम ऐसी स्थिति में पहुंच चुके हैं जहां उद्योगपतियों और सेवानिवृत नौकरशाहों के खिलाफ केवल धारणाओं, व्याख्याओं और केवल अर्थ लगार कर आधी अधूरी बातों के आधार पर मामले दर्ज किए जा रहे हैं।’ पत्र में कहा गया है, ‘हमें डर है कि सीबीआई अपनी जांच के दौरान दूसरे उद्योगपतियों को भी मामले में घसीट सकती है, हालांकि, अंत में इसमें कुछ गलत होने का कोई व्यापक सबूत मिलने की उम्मीद नहीं दिखाई देती, लेकिन इससे सबंधित उद्योगपति अथवा उद्यमी के मान सम्मान को काफी ठेस लग चुकी होगी।’

सीबीआई ने इस महीने की शुरुआत में कोयला खान आवंटन मामले में आदित्य बिड़ला समूह के प्रमुख के तौर पर आदित्य बिडला के खिलाफ मामला दर्ज कर दिया। यह मामला समूह की कंपनी हिन्डाल्को को ओड़िशा स्थित (तालाबीरा) दो कोयला ब्लॉक आवंटन में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा है। यह आवंटन 10 नवंबर 2005 में किया गया।

प्रमुख उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा है कि इस तरह की घटनाओं से देश में पहले ही कारोबारी माहौल दूषित हो रहा है और ‘अविश्वास की बढ़ा है।’ उद्योग मंडल ने पत्र में लिखा है ‘श्रीमान, हमें डर है कि, यदि अविश्वास का यह माहौल जारी रहता है तो निर्णय लेने की प्रक्रिया और प्रभावित होगी।’ एसोचैम ने कहा है ‘सम्मनित उद्योगपतियों और पूर्व वरिष्ठ नौकरशाहों के खिलाफ ऐसे समय जब अर्थव्यवस्था में निवेशकों और उपभोक्ताओं के विश्वास में काफी गिरावट आई है, सीबीआई मामला दर्ज किया जाना हितकारी नहीं होगा।’

उद्योगमंडल ने इसपर आश्चर्य जताया है कि यदि कोई उद्योगपति वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्रियों से मिलने जाता है तो इसे हस्तक्षेप कैसे माना जा सकता है। संगठन ने कहा कि इस तरह की स्थिति में कोई भी निर्णय लेने वाला निर्णय लेने से कतरायेगा। ‘सेवानिवृति के बाद भी यदि अधिकारियों को जांच एजेंसियां पीछा नहीं छोड़ेंगी तो कोई भी सरकार में बैठे अधिकारी निर्णय नहीं लेना ही बेहतर समझेंगे।’ एसोचैम ने मामले में प्रधानमंत्री से समर्थन देने का आग्रह करते हुये कहा है कि उद्योगपतियों का विश्वास और उत्साह बढ़ाने की आवश्यकता है। उद्योग मंडल ने कहा है कि सरकार का काम न केवल नियमन करना है बल्कि उद्यमियों के लिये परिवेश को सुविधाजनक बनाना भी है। (एजेंसी)

First Published: Friday, October 25, 2013, 09:59

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