Last Updated: Friday, May 2, 2014, 17:20
नई दिल्ली : भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) विज्ञापनों में भ्रम के आरोप में दर्ज 136 शिकायतों में से 99 को सही ठहराया। इनमें प्रॉक्टर एंड गैंबल, आईटीसी, मारिको और डाबर जैसी दिग्गज कंपनियों के विज्ञापन भी हैं।
विज्ञापनों की विनियमन एएससीआई की उपभोक्ता शिकायत परिषद् (सीसीसी) के अनुसार विज्ञापन मानकों के उल्लंघन के मामले में स्वास्थ्य एवं पर्सनल केयर उत्पाद कंपनियां सबसे आगे रहीं और उल्लंघन के 80 मामलों में इस क्षेत्र के विज्ञापन थे। व्यक्तिगत देखभाल क्षेत्र की पायी गयीं।
प्राक्टर एंड गैंबल के विक्स वैपोरब का वह विज्ञापन भी भ्रमक करार दिया गया है जिसमें कहा गया है विक्स वैपोरब का एक पैक खरीदने पर उपभोक्ता 50 रुपये की बचत करेगा। एएससीआई ने विक्स के विज्ञापन पर अपने आदेश में कहा है, ‘विक्स वैपोरब के विज्ञापन में बहुत बारीक अक्षरों में खंडन में लिखा है कि 50 ग्राम की वैपोरब बनाम 5 ग्राम की विक्स वैपोरब खरीदने में अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर आधारित हैं। यह विज्ञापन उपभोक्ताओं को भ्रम में डालने वाला है।’
इसी प्रकार डाबर के फेम फेयरनेस नेचुरल ब्लीच के विज्ञापन में कहा गया है, ‘यह किसी के गोरा बनने की तमन्ना को पूरा करती है’ और ‘इसमें प्रयुक्त केसर त्वचा को लम्बे समय तक कांतिवान बनाए रखता है।’ आईटीसी लिमिटेड के क्विकनिक च्युंगम और मारिको लिमिटेड के सफोला टोटल के विज्ञापनों को भी भ्रामक दावे करने वाला विज्ञापन करार दिया गया है।
एएससीआई ने शिक्षा क्षेत्र की पांच विज्ञापनों को झूठा दावा करने वाली शिकायतों में शामिल किया है। एएससीआई के अनुसार गुरू गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, ट्रायमफैंट इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड और सचदेवा कॉलेज के विज्ञापन भी पुष्ट आधार वाले नहीं थे और इनमें इस क्षेत्र के मानमों का उल्लंघन हुआ। (एजेंसी)
First Published: Friday, May 2, 2014, 17:20