Last Updated: Tuesday, November 5, 2013, 23:00

नई दिल्ली : वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने मंगलवार को विश्वास व्यक्त किया कि इस वित्त वर्ष में चालू खाते का घाटा (कैड) 60 अरब डॉलर से कम रहेगा। पहले इसके इसके 70 अरब डॉलर रहने का अनुमान लगाया गया था।
चिदंबरम ने एक समाचार चैनल से कहा ‘‘हमारा मानना है कि हम इसे (कैड को) 60 अरब डॉलर अथवा इससे कम रख सकते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि हम 60 अरब डॉलर से भी बेहतर कर सकते हैं।’’
कैड एक अवधि में देश में विदेशी मुद्रा की आवा जाही के बीच का अंतर है। पिछले वित्त वर्ष में कैड 88.2 अरब डॉलर अथवा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.8 प्रतिशत के बराबर था। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जून तिमाही में कैड घाटा 21.8 अरब डॉलर रहा जो जीडीपी का 4.9 प्रतिशत था।
सोने का भारी आयात से पिछले वित्त वर्ष में कैड को रिकार्ड ऊंचाई तक पहुंचा गया था। रिजर्व बैंक और सरकार ने सोने के आयात पर अंकुश के लिए लिये शुल्क बढ़ाने सहित कई उपाय किये हैं।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा उदार मौद्रिक नीति से कदम वापस खींचने के सवाल पर चिदंबरम ने कहा नीति में बदलाव होगा, लेकिन सरकार और बाजार दोनों ही इसका सामना करने के लिये तैयार हैं।
उन्होंने कहा ‘‘हम जानते हैं कि यह होगा। यह शायद जनवरी अथवा फरवरी में हो सकता है, आज उन्होंने कहा कि यह मार्च में होगा। बाजार और सरकार अब इसके लिये तैयार हैं क्योंकि हमें पता है कि यह होना है।’’
चिदंबरम ने कहा ‘‘इसलिये हमें अर्थव्यवस्था के बुनियादी कारकों को मजबूत बनाने की आवश्यकता है। रिजर्व बैंक गवर्नर ने सरकारी खजाने की स्थिति मजबूत बनाने पर जोर दिया है, इसका मतलब यही है कि राजकोषीय घाटे को कम रखना होगा, राजस्व में सुधार लाना होगा, खर्चे कम करने होंगे और मुद्रा विनिमय बाजार में अत्यधिक सट्टेबाजी पर लगाम कसनी होगी।’’
वित्त मंत्री ने कहा कि कई उपाये किये गये हैं। जब भी फेडरल रिजर्व मौद्रिक नीति में बदलाव करेगा ‘‘बाजार इससे आश्चर्यचकित नहीं होगा, हम भी नहीं हड़बड़ायेंगे और जो भी असर होगा वह मामूली होगा।’’ (एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 5, 2013, 23:00