Last Updated: Thursday, April 24, 2014, 19:00
नई दिल्ली : केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) 50 से अधिक अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए लगभग चार महीने से विभिन्न विभागों से मंजूरी की प्रतीक्षा कर रहा है। इन अधिकारियों में भारतीय प्रशासनिक सेवा एवं पुलिस सेवा के अधिकारी शामिल हैं जिन पर कथित रूप से भ्रष्टाचार में शामिल होने के आरोप हैं। नियमों के मुताबिक, अभियोजन की मंजूरी के लिए चार माह के भीतर निर्णय कर लिया जाना चाहिए।
सीवीसी के आंकड़ों के मुताबिक कुल 28 मामलों में 53 अधिकारियों पर भ्रष्टाचार संबंधी आरोप हैं। इनमें से सबसे अधिक मामले दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) में लंबित हैं, जबकि चार मामले कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय में हैं। तीन मामले गृह मंत्रालय एवं दो मामले रेलवे मंत्रालय एवं दो मामले बैंक ऑफ इंडिया में हैं।
इसके अलावा पंजाब नेशनल बैंक, इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बैंक आफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक आफ बड़ौदा, कारपोरेशन बैंक, कोयला एवं खान मंत्रालय, जहाजरानी मंत्रालय, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय से भी एक एक मामले में अभियोग के लिए मंजूरी की प्रतीक्षा है।
सीवीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, अभियोग चलाने की मंजूरी के लिए विभाग नियमित रूप से लंबित मामलों को संज्ञान में लाता है। हम मामलों के शीघ्र निस्तारण के लिए विभागों को फिर से पत्र लिखेंगे। आयोग ने इन अधिकारियों के नाम व उनके पद का ब्यौरा अपनी वेबसाइट पर डाला है। इन लंबित मामलों में से कुछ सीबीआई ने लगभग तीन साल पहले दर्ज कराए थे।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, April 24, 2014, 19:00