Last Updated: Sunday, March 9, 2014, 19:25
नई दिल्ली : दिल्ली में रक्षा मंत्रालय, सुरक्षा एजेंसियों, सीबीआई और बैंकों के कंप्यूटरों समेत करीब 3,000 इंटरनेट कनेक्शन सीधे विदेशों से जासूसी के शिकार हो सकते हैं। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों द्वारा सरकार को सौंपी गई एक रिपोर्ट में यह आशंका जताई गई है। इंडियन इन्फोसेक कंसोर्टियम ने कहा कि भले ही इन संस्थानों में कंप्यूटरों को हैक नहीं किया गया है, इनके मॉडम इतनी नाजुक हालत में हैं कि बाहरी व्यक्ति इनके जरिए सूचनाओं को प्राप्त कर सकता है और उनमें तांक झांक कर सकता है।
आईआईसी साइबर सुरक्षा विश्लेषक जितेन जैन ने प्रेट्र को बताया, ‘‘दिल्ली में करीब 3,000 इंटरनेट कनेक्शन जोखिम में हैं। इनमें रक्षा, सीबीआई, चुनाव अधिकारी सहित विभिन्न महत्वपूर्ण इकाइयों के कनेक्शन शामिल हैं।’’ उन्होंने कहा कि इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल को सौंपी गई है और उन्होंने इस दिशा में तुरंत कारवाई का वादा किया है।
‘‘इन संस्थानों के कंप्यूटरों में लगे इंटरनेट कनेक्शन का विदेश स्थित सर्वर से संपर्क किया जा सकता है। हमने दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल के साथ एक विस्तृत रिपोर्ट साझा की है.. सिब्बल ने इस पर तुरंत कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।’’ संवेदनशील इंटरनेट कनेक्शन रखने वाले संस्थानों की सूची में साउथ ब्लाक स्थित रक्षा मंत्रालय, राष्ट्रपति भवन में कैबिनेट सचिवालय के उप सचिव, सी-विंग में नौसेना प्रमुख कार्यालय, वायु भवन में वायुसेना संचार केंद्र, दिल्ली छावनी में कंट्रोलर आफ डिफेंस एकाउंट्स और झंडेवाला स्थित आयकर निदेशालय (जांच) शामिल हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) के कार्यालय के कुछ कनेक्शन भी जोखिमपूर्ण हैं। जैन ने कहा कि कंसोर्सियम ने सुरक्षा एजेंसियों को भी उनके सिस्टम के बारे में तुरंत सुधारात्मक कारवाई करने के लिये एक रिपोर्ट सौंपी है। आईआईसी ने जिन 3,000 इंटरनेट कनेक्शनों का सर्वेक्षण किया है उनमें 99 प्रतिशत से अधिक में जासूसी यानी तांक झांक हो सकती है।
आईआईसी में 20,000 से अधिक साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ हैं। उसका दावा है कि भारत में साइबर सुरक्षा के मामले में वह सबसे पहली सुरक्षा पंक्ति है। उसने घरेलू साइबर सुरक्षा उत्पादों को भी विकसित किया है। जैन ने यह भी कहा कि यह कहना मुश्किल है कि किस देश से इन इंटरनेट प्रणालियों पर नजर रखी जा रही है अथवा तांक झांक हो सकती है क्योंकि इंटरनेट का ढांचा काफी जटिल है।
आईआईसी ने यह जानने के लिये कि किस प्रतिष्ठान को साइबर जासूसी के लिये लक्ष्य बनाया जा सकता है इसका पता लगाने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी की टेलीफोन डायरेक्टरी का इस्तेमाल किया। यह भी पता चला है कि एक प्रमुख निजी क्षेत्र के दूरसंचार प्रदाता कंपनी का नेटवर्क भी इस काम के लिये काफी जोखिम पूर्ण हो सकता है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, March 9, 2014, 19:22